लक्ष्मण ने देश के लिये बेहतरीन कोचों को तैयार करने की मांग की

Laxman demands developing quality coaches in the country

भारत के पूर्व बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने बीसीसीआई से आग्रह किया है कि वह आधारभूत ढांचे तैयार करने से ध्यान हटाकर बेहतरीन स्तर के कोचों का पूल बनाने पर विचार करे।

मुंबई। भारत के पूर्व बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने बीसीसीआई से आग्रह किया है कि वह आधारभूत ढांचे तैयार करने से ध्यान हटाकर बेहतरीन स्तर के कोचों का पूल बनाने पर विचार करे। लक्ष्मण इस तीन सदस्यीय सीएसी के सदस्य हैं जिसमें सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी भी देशप्रेम आजाद को अहमियत नहीं दी, जिन्होंने कपिल देव जैसे खिलाड़ी को ढूंढा और उन्हें तराशा, जब वह हरियाणा के लिये खेलते थे। इसके बाद जब आप आप उच्च स्तर के लिये खेलते हो या आप प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलते हो तो आप परिपक्व बन जाते हो। ’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खिलाड़ी के करियर में बुनियादी ढांचे से कहीं ज्यादा अहम मेंटर होते हैं। उन्होंने तेंदुलकर के कोच रमाकांत अचरेकर का उदाहरण देते हुए कहा कि इस शानदार बल्लेबाज को शिवाजी पार्क (जिस मैदान पर वो खेलते थे) ने नहीं बल्कि उनके कोच ने तैयार किया। लक्ष्मण ने यहां सीआईआई के खेल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आधारभूत ढांचे से कहीं ज्यादा अहमियत कोचों के स्तर के विकास को दी जानी चाहिए और हमने इसकी सिफारिश बीसीसीआई को भी की है।’’

उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली रहे कि उनके मामा ने तब उनकी प्रतिभा देखी जब वह युवा थे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मामा मेरे मेंटर थे। मेरे मामा ने मुझमें प्रतिभा देखी और मेरे माता पिता को मनाया कि मैं उच्च स्तर तक क्रिकेट खेल सकता हूं। कितने बच्चों को इस तरह का मौका मिलता है। मैं भाग्यशाली था कि मुझे अकादमी में इतने अच्छे कोच मिले। ’’लक्ष्मण ने कहा, ‘‘सचिन शिवाजी पार्क की वजह से नहीं बल्कि अचरेकर सर की वजह से यह मुकाम हासिल करने में सफल रहे।

मुझे लगता है कि अहम संदेश यह है कि बेहतरीन कोचों को बनाने पर निवेश किया जाना चाहिए।’’ इस 43 वर्षीय खिलाड़ी को 2001 में कोलकाता में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 281 रन की नाबाद पारी के लिये हमेशा याद किया जाता है। क्रिकेटर से कमेंटेटर बने लक्ष्मण ने कहा कि भारत में माता पिता अब भी बच्चों को खेल में करियर बनाने के प्रति इतने खुले नहीं हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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