पृथ्वी के बाद अब सौर तूफान Mars से टकराया, वैज्ञानिक हुए परेशान

solar storm
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रितिका कमठान । Jun 17 2024 4:58PM

बीते एक वर्ष से कई गतिविधियां सूर्य में देखने को मिल रही है। सौर्य तूफान हर 12 वर्ष के दौरान अपने चरम पर पहुंचते है, जिसे सोलर मैक्सिमम कहा जाता है। इस वर्ष के अंत तक में सोलर मेक्सिमम की भविष्यवाणी की गई है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सौर तूफान को लेकर एक बड़ा अपडेट साझा किया है। नासा के मुताबिक मंगल ग्रह यानी मार्स से एक बड़ा और विशाल सौर तूफान टकराया है। ये सौर तूफान मई महीने के अंत में सूर्य से निकला था। लाल ग्रह को सौर तूफान ने घेर लिया है। ऑरोरा, आवेशित कणों और विकिरण के प्रवाह से अब मंगल ग्रह घिर चुका है।

गौरतलब है कि बीते एक वर्ष से कई गतिविधियां सूर्य में देखने को मिल रही है। सौर्य तूफान हर 12 वर्ष के दौरान अपने चरम पर पहुंचते है, जिसे सोलर मैक्सिमम कहा जाता है। इस वर्ष के अंत तक में सोलर मेक्सिमम की भविष्यवाणी की गई है।

सौर गतिविधियों में हो रहा इजाफा

कई सौर गतिविधियों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सूर्य से एक्स क्लास फ्लेयर्स निकलने लगे है, जो काफी शक्तिशाली होते है। कोरोनल मास इजेक्शन, प्लाज्मा नामक, चुंबकीय क्षेत्र भी सूर्य के बाहरी वातावरण से निकल रहे है। बता दें कि मई के महीने में ही पृथ्वी पर भी सौर तूफान आया था, जिससे रंगीन ऑरोरा का जन्म हुआ था। सौर तूफान का असर उत्तरी कैलिफोर्निया और अलबामा जैसे क्षेत्रों में आसमान में देखने को मिला था। 

बता दें कि सौर तूफान के कारण सूर्य के धब्बे उत्पन्न हुए है। धब्बों का विशाल समूह है जो पृथ्वी के सामने है। सनस्पॉट क्लस्टर पृथ्वी के ब्रह्मांडीय पड़ोसी गृह यानी मंगल की तरफ घूम गया है। जानकारों ने लाल ग्रह पर सौर तूफान को कैप्चर करने के लिए कई ऑर्बिटर देखे हैं जो उसकी परिक्रमा कर रहे है। साथ ही इसकी सतह पर चलने वाले रोवर्स का उपयोग किया। इस जानकारी को भी बेहतर तरीके से समझने की कोशिश की गई है कि आने वाले भविष्य में लाल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्री किस तरह से विकिरण स्तरों का अनुभव करेंगे।

वर्तमान में सूर्य का अध्ययन कर रहे सोलर ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान ने भी खास डेटा जमा किया है। इस डेटा के मुताबिक सौर तूफान सबसे तेज 20 मई के बाद आया था। इसमें काफी विशाल फ्लेयर आई थी, जिसनें मंगल ग्रह की तरफ तेज गति के साथ एक्स रे और गामा किरणों को भेजा था। फ्लेयर के बाद कोरोनल मास इजेक्शन हुआ था। इससे लाल ग्रह की दिशा में आवेशित कणों को फेंका गया था।

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