आजाद भारत के नक्शे पर फौलाद से लिखा अमिट नाम- सरदार वल्लभ भाई पटेल

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[email protected] । Oct 31 2018 3:47PM

अपनी धरती और अपने देशवासियों से सच्चा प्यार करने वाले एक दृढ़निश्चयी ‘लौह पुरूष’ ने बंटवारे के बाद सुबकते देश के आंसू पौंछने के साथ ही सैकड़ों बिखरी रियासतों को बड़ी सूझबूझ से एक कर आधुनिक भारत

नयी दिल्ली। अपनी धरती और अपने देशवासियों से सच्चा प्यार करने वाले एक दृढ़निश्चयी ‘लौह पुरूष’ ने बंटवारे के बाद सुबकते देश के आंसू पौंछने के साथ ही सैकड़ों बिखरी रियासतों को बड़ी सूझबूझ से एक कर आधुनिक भारत के एकीकृत मानचित्र को मौजूदा स्वरूप दिया और कृतज्ञ राष्ट्र ने उस ‘सरदार’ को श्रद्धांजलि देने के लिए दिन रात मेहनत करके जब उनके कद के बराबर कुछ गढ़ना चाहा तो ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ की शक्ल में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ने आकार ले लिया ।

आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को देश के सबसे सम्मानित, परिपक्त और दूरदर्शी नेताओं में शुमार किया जाता है, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के साथ साथ गरीबों और वंचितों के हितों को हमेशा सर्वोपरि माना और हर हाल में एकजुट रहकर चुनौतियों का सामना करने का सबक सिखाया। उनकी 143वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा नदी के तट पर उनकी विशाल प्रतिमा को राष्ट्र को समर्पित किया।

देश की एकता और विकास में यह सरदार पटेल का योगदान ही था कि उनके जन्मदिन को हर वर्ष एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आजादी से पहले और उसके तत्काल बाद के अनिश्चय से भरे माहौल में सरदार पटेल ने देश की 550 से ज्यादा रियासतों को भारत में शामिल करने का जिम्मा उठाया और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में जोड़ने में कामयाब रहे। उन्होंने देश के प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करने के साथ ही सहकारिता पर जोर दिया और देश को हर हाल में विकास पर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया।

आजादी से पहले स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल द्वारा आजादी के बाद दिखाए एकता, समृद्धि और विकास के रास्ते पर चलकर आज देश इस मुकाम पर आ पहुंचा है। उनके इस योगदान को नमन करने के लिए नर्मदा के तट पर 182 मीटर की यह प्रतिमा बनाई गई है, जिसे दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा कहा जा रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार सरदार पटेल की यह प्रतिमा भारत को विखंडित करने के प्रयासों को विफल करने वाले व्यक्ति के साहस की याद दिलाती रहेगी। देश को एक करने में उनके योगदान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि सरदार पटेल ने देश का एकीकरण नहीं किया होता तो बब्बर शेरों को देखने, सोमनाथ के दर्शन करने और हैदराबाद के चार मीनार देखने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती।

उस लौह पुरूष के लिए इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या हो सकती है कि उनकी यह विशाल प्रतिमा देश के नक्शे पर एक विशाल हस्ताक्षर की तरह सदा उनकी महानता की याद दिलाती रहेगी।

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