World Cancer Day 2025: कैंसर जोखिमों को परास्त करने में योग सहायक

World Cancer Day
Creative Commons licenses
ललित गर्ग । Feb 4 2025 10:51AM

कैंसर को नियंत्रित करने में भारतीय योग, आयुर्वेद एवं अध्यात्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि अध्यात्म से व्यक्ति को आत्मविश्वास व मानसिक बल मिलता है। अध्यात्म के सहारे से जीवन की यात्रा को सुगम व सरल किया जा सकता है।

कैंसर एक ऐसा रोग है जिसके बारे में सुनकर ही लोग डर जाते हैं। कैंसर, वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं एवं बीमारियों में से एक है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। विश्व कैंसर दिवस दुनिया के हर कोने में कैंसर की रोकथाम, कैंसर के लक्षणों की पहचान और इलाज के प्रति जागरूकता लाने एक महत्वपूर्ण दिन है, इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2000 में पेरिस में हुई थी। 4 फरवरी 2000 को पेरिस में ‘वर्ल्ड समिट अगेंस्ट कैंसर’ कार्यक्रम का आयोजन कर इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ हर साल एक खास थीम पर वर्ल्ड कैंसर डे मनाता है। यह खास थीम लोगों को जागरूक करने और कैंसर के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करने के लिए बनाई जाती है। साल 2025 में वर्ल्ड कैंसर डे की थीम ‘यूनाइटेड बाय यूनीक’ रखी गई है। इस थीम को रखने का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि कैंसर न सिर्फ इलाज से बल्कि लोगों के आत्मविश्वास एवं मनोबल से जीतने वाली एक लड़ाई है, जिसे हमें जड़ से खत्म करना है। ‘मैं हूँ और मैं करूँगा’ जो व्यक्तियों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई के लिए व्यक्तिगत प्रतिबद्धता बनाने का आह्वान करता है। 

मानव शरीर कई कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इनका समय-समय पर रिप्लेसमेंट होता है। जैसे-जैसे कोशिकाएं मरती जाती हैं उनकी जगह पर नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इन रिप्लेसमेंट के दौरान जो सेल मल्टिप्लीकेशन होता है उसके अंदर कोई एक विकृत कोशिका भी पैदा हो जाती है और यह असामान्य कोशिका ऐसी होती है जिस पर शरीर के सिस्टम्स का कोई नियंत्रण नहीं होता और यह सेल इस तरह मल्टीप्लाई करता है कि अंततोगत्वा यह ट्यूमर अथवा कैंसर का रूप अख्तियार कर लेता है। कैंसर कई प्रकार के हो सकते हैं, सभी उम्र के व्यक्तियों में इसका जोखिम देखा जा रहा है। लक्षणों की समय पर पहचान और इलाज प्राप्त करके कैंसर से मृत्यु के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है। हर साल लाखों लोग कैंसर से मरते हैं, जो विश्व स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण है। साल 2022 में दुनिया भर में कैंसर से करीब 9.7 मिलियन लोगों की मौत हुई थी, साल 2040 तक, कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 15.3 मिलियन होने का अनुमान है।

इसे भी पढ़ें: Indian Coast Guard Day 2025: हर साल 01 फरवरी को मनाया जाता है इंडियन कोस्ट गार्ड डे, जानिए इतिहास और उद्देश्य

दुनिया में हर छठी मौत कैंसर के कारण होती है। मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयोग और तकनीक विकास के चलते कैंसर अब लाइलाज बीमारी तो नहीं रही है, पर अब भी आम लोगों के लिए इसका इलाज काफी कठिन बना हुआ है। कैंसर से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि हमें इस बीमारी के बारे में सब कुछ पता हो, इसे कैसे रोका जाए और इसको कैसे डायग्नोस किया जाए। दुनियाभर में विभिन्न आय, आयु, लिंग, जातीयता आदि के समूहों की आबादी द्वारा सामना की जाने वाली कैंसर देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अंतर को खत्म करना अपेक्षित है। असाध्य बीमारी होने के बावजूद इस बीमारी को परास्त किया जा सकता है, अगर जिजीविषा, मनोबल एवं हौसला हो तो कैंसर को भी पस्त किया जा सकता है और ऐसा होते हुए देखा भी जा रहा है। हम जानते हैं कि हममें से हर एक में बदलाव लाने की क्षमता है, चाहे बड़ा हो या छोटा, और साथ मिलकर हम कैंसर के वैश्विक प्रभाव को कम करने में प्रगति कर सकते हैं। अक्सर वही लोग खतरे में पड़ते हैं, जो खुद को खतरे में महफूज समझते हैं या खतरे को गंभीरता से नहीं लेते हैं। 

हाल के वर्षों में हासिल किए गए महत्वपूर्ण कैंसर अनुसंधान मील के पत्थर को साबित हुए हैं और क्षितिज पर आशाजनक नैदानिक विकास का पता लगाया है। पिछले कुछ सालों में विज्ञान ने कैंसर के प्रकारों, कारणों और उपचारों में काफी विकास किया है एवं इस बीमारी से लड़ने एवं इसे परास्त करने में सफलता पाई है। ऐसे तमाम आम और सेलिब्रेटी हैं, जिन्होंने कैंसर का सही समय पर जांच और इलाज करवाकर जीवन का सुख प्राप्त कर रहे हैं। इस दिशा में और भी जागरूकता और सतर्कता बढ़ाने की जरूरत है। कैंसर लाइलाज नहीं है, लेकिन इसका इलाज स्टेज 1 या स्टेज 2 में पता लग जाने और तुरन्त ऑपरेशन करके निकाल देने से संभव है। इन वर्षों में अनेक प्रभावी दवाइयों एवं इलाज प्रक्रियाएं भी सामने आयी है जैसे- टार्गेटेड थेरेपी है, इम्यूनो थेरेपी है। उससे लोगों को काफी आराम मिलता है। उससे अनेक लोगों का खतरा पूरी तरह या कुछ मात्रा में कम हुआ एवं जीवन में कुछ वर्ष बढ़े हैं।

कैंसर ठीक होने के सवाल में एक और बात बताना जरूरी हो जाता है कि कैंसर एक लाइफस्टाइल बीमारी भी है। इसलिये जीवन को संतुलित एवं संयममय बनाकर इस बीमारी को कम किया जा सकता है। आप कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं, क्या आपकी आदतें हैं, क्या आपकी बुरी आदतें है, उसपर भी निर्भर करता है। लाइफस्टाइल और आहार को पौष्टिक रखने के साथ शराब-धूम्रपान को छोड़कर  योग, ध्यान एवं साधना के माध्यम से कैंसर के खतरे से बचाव किया जा सकता है। कैंसर विश्वभर में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। शरीर के किसी हिस्से में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि और इसका अनियंत्रित रूप से विभाजन कैंसर का कारक होती है। आनुवांशिकता, पर्यावरणीय, लाइफस्टाइल में गड़बड़ी, रसायनों के अधिक संपर्क के कारण कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में फेफड़े-प्रोस्टेट और कोलन कैंसर का खतरा सबसे अधिक देखा जाता रहा है। 

कैंसर को नियंत्रित करने में भारतीय योग, आयुर्वेद एवं अध्यात्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि अध्यात्म से व्यक्ति को आत्मविश्वास व मानसिक बल मिलता है। अध्यात्म के सहारे से जीवन की यात्रा को सुगम व सरल किया जा सकता है। इसे एक पारंपरिक उपचार प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जो पूरे शरीर, मन और आत्मा में ऊर्जा के संतुलन और प्रवाह को पुनर्स्थापित करती है। जिस प्रकार दवाई हमारे शरीर के अंदर जाकर बीमारी को ठीक करती है, ठीक उसी प्रकार आध्यात्मिक इलाज हमारे मन को मजबूत बना कर किसी भी बीमारी से लड़ने की हिम्मत देता है। अध्यात्म में वो शक्ति है, जो हारे हुए व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा भर देता है। अध्यात्म के बहुत सारे अंग हैं जैसे- योग, प्राणायाम, मंत्र साधना, ध्यान, आदि। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने आप को भीतर से मजबूत बना सकता है। यही वजह है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में अध्यात्म को अपना लेता है, वो कैंसर से जुड़ी हर पीड़ा, वेदना एवं हर परिस्थिति का डटकर सामना करता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी हार नहीं सकता।

कैंसर अब एक तरह से जीवनशैली से जुड़ी बीमारी बनती जा रही है। कई बार तो लंबे समय तक यह बीमारी पकड़ में ही नहीं आती। इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का अभाव भी है। हालांकि, कैंसर पूर्व के कुछ लक्षण दिखते हैं, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। मुंह में सफेद या लाल धब्बे, शरीर में कहीं गांठ बन जाना और उसका बढ़ना, लंबे समय तक खांसी, कब्ज की लगातार समस्या, अधिक थकान और वजन में गिरावट जैसे लक्षणों को कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कैंसर संक्रामक रोग नहीं है। कैंसर के मरीजों से दूरी न बनाएं, बल्कि उनके साथ जुड़कर उनको मानसिक संबल दें, उनमें सकारात्मक सोच विकसित करें। कैंसर की जंग में सकारात्मक सोच रोगी का सबसे बड़ा हथियार हो सकता है। सकारात्मक सोच वाले शरीर पर ही दवाइयां अपना असर दिखती हैं। इसलिए कभी भी व्यक्ति को हताश नहीं होना चाहिए। योग से शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। रोजाना 30 मिनट तक योग करके कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है। विश्व कैंसर दिवस कैंसर के वैश्विक बोझ पर चिंतन करने के साथ-साथ जांच योगमय संतुलित जीवन और जीवनरक्षक उपचार में हुई प्रगति का जश्न मनाने का भी दिन है। पूरे समुदाय को जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा को बढ़ावा देने तथा कैंसर के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत, सामूहिक और सरकारी कार्रवाई को प्रेरित करता है।

- ललित गर्ग

लेखक, पत्रकार, स्तंभकार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़