कालाष्टमी की पूजा से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी

हिन्दू धर्म में कालाष्टमी व्रत को बहुत फलदायी माना जाता है और इस व्रत को करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। कालाष्टमी के दिन ही भैरव नाथ प्रकट हुए थे। कालभैरव को भगवान शिव का विग्रह रूप माना जाता है। काल भैरव शिव के पांचवें अवतार माने जाते हैं।
हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का खास महत्व है। कालाष्टमी को कालभैरव जयंती और भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। इस महीने कालाष्टमी 19 दिसम्बर को है तो आइए हम आपको उन कुछ चमत्कारिक उपायों और पूजा विधियों के बारे में बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप भगवान भैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।
जानें कालाष्टमी के बारे में
हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा होती है। कालभैरव को शिव जी का अवतार माना जाता है। इस दिन को कालाष्टमी, भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
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काल भैरव के बारे में भी जानें
कालभैरव में भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की तीनों शक्तियों को शामिल किया जाता है। भैरव को शिव और पार्वती का अनुचर माना जाता है। कालाष्टमी के दिन कालभैरव के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
कालाष्टमी का महत्व
हिन्दू धर्म में कालाष्टमी व्रत को बहुत फलदायी माना जाता है और इस व्रत को करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। कालाष्टमी के दिन ही भैरव नाथ प्रकट हुए थे। कालभैरव को भगवान शिव का विग्रह रूप माना जाता है। काल भैरव शिव के पांचवें अवतार माने जाते हैं। शिव के पांचवें रूप के दो अवतार हैं पहला बटुक भैरव जिसमें वह भक्तों को अभयदान देते हैं। दूसरे रूप में वह काल भैरव हैं जो भयंकर दंड देने वाले हैं। इस रूप में वह भक्तों को उनके किए कर्मों की सजा जरूर देते हैं।
भैरव भगवान को भक्तों का बुरा करने वाले को तीन लोकों में कहीं जगह नहीं मिलती हैं। कालभैरव से काल भी डरते हैं। कालभैरव के हाथ में भक्तों को दंड देने के लिए तलवार, डंडा और त्रिशूल होने के कारण उन्हें दंडपाणि कहा जाता है।
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कालाष्टमी की पूजा होती है खास
कालाष्टमी का दिन बहुत खास होता है। इस दिन आप पूजा-अर्चना कर कालभैरव को प्रसन्न किया जाता है। इस दिन सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें तथा साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पवित्र मन से पूजा का संकल्प करें। इसके बादघर की साफ-सफाई कर पवित्र मन से कालभैरव मंदिर जाएं। मंदिर जाकर भगवान को अबीर, गुलाल, फूल, सिंधूर और चावल चढ़ाएं। साथ ही पूजा में नीले फूल जरूर अर्पित करें, इससे भगवान काल भैरव भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उन्हें मनचाहा वर देते हैं।
इसके अलावा किसी खास तरह की मनोकामना पूर्ति हेतु सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, और सवा 11 रुपए लेकर एक सवा मीटर काले वस्त्र में रखकर एक गठरी जरूर बनाएं और इसे कालाष्टमी के अवसर पर भगवान भैरव को चढ़ाएं। यही नहीं कालाष्टमी के दिन भैरवनाथ को नींबू की माला या सिर्फ 5 नींबू चढ़ाने से भी कामनाएं पूरी होती हैं। कालाष्टमी के अवसर पर किए गए इस उपायों से भैरव बाबा अपने भक्त के जीवन सभी प्रकार की खुशियां और सफलता देते हैं।
साथ ही जीवन में आने वाली कई तरह की समस्याओं को समाप्त करने के लिए और कालभैरव भगवान का आर्शीवाद पाने के लिए कालाष्टमी के दिन किसी मंदिर में जाकर काजल तथा कपूर का दान करें। यही नहीं धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के मंदिर में जाकर चमेली का तेल तथा सिंदूर चढ़ाएं। इन उपायों से आपकी परेशानी जरूर खत्म होगी।
प्रज्ञा पाण्डेय
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