Gurpurab 2025: दिल्ली के इन 5 गुरुद्वारों में मनाएं प्रकाश पर्व, पाएं अद्भुत अनुभव और आध्यात्मिक शांति

Delhi Top 5 Gurudwaras
ANI
Divyanshi Bhadauria । Nov 3 2025 6:22PM

गुरुपर्व, जिसे गुरु नानक जयंती भी कहते हैं, सिख धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस को मनाता है। इस पवित्र अवसर पर दिल्ली में पांच विशेष गुरुद्वारों की यात्रा एक गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक अनुभव प्रदान करती है, जहां श्रद्धालु कीर्तन और लंगर में भाग ले सकते हैं और गुरु नानक जी की शिक्षाओं को आत्मसात कर सकते हैं।

गुरुपर्व त्योहार सिखों का सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस साल गुरुपर्व का त्योहार 5 नवंबर, बुधवार को मनाया जा रहा है। गुरुपर्व सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे गुरु नानक जयंती या प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। यह दिन सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र होता है। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। लोग गुरु नानक जी की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके बताए मार्ग — सत्य, समानता, और सेवा — का पालन करने का संकल्प लेते हैं। गुरुपर्व प्रेम, एकता और भक्ति का प्रतीक है। अगर आप दिल्ली में हैं और आध्यात्मिक और शांति से एक दिन बिताना चाहते हैं, तो आप दिल्ली के पांच खूबसूरत गुरुद्वारे हैं में जा सकते हैं, यहां आप गुरुपर्व मना सकते हैं। 

 

 गुरुद्वारा बंगला साहिब, कनॉट प्लेस

दिल्ली के मध्य में स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब भारत के सबसे प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थलों में से एक है। सुनहरे गुंबद और एक सरोवर वाला यह सफेद संगमरमर का भवन प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।  यह गुरुद्वारा सभी के लिए निःशुल्क लंगर भी परोसता है, जो इसे समानता और करुणा का प्रतीक बनाता है।

गुरुद्वारा सीस गंज साहिब, चांदनी चौक

पुरानी दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब वह स्थान है, जहां नौवें सिख गुरु और गुरु तेग बहादुर जी शहीद हुए थे। इसे 1783 में चांदनी चौक के बीचों-बीच निर्मित किया गया है, यह पर आपको एकदम शांति और आध्यात्मिक माहौल देखने को मिलेगा है। इसके सुनहरे गुंबद और मुगल वास्तुकला इसे शहर के सबसे महत्वपूर्ण सिख स्थलों में से एक बनाते हैं, यहां पर प्रतिदिन कई श्रद्धालु आते हैं।

 गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर, महरौली

 

यह गुरुद्वारा बहादुर सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर को समर्पित है, जिन्होंने मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस स्थल में एक सुंदर संगमरमर की संरचना और पवित्र बावली साहिब कुआं है। गुरुपर्व के दौरान यहां का वातावरण शांत और गहन आध्यात्मिक होता है।

गुरुद्वारा दमदमा साहिब, महरौली

यह गुरुद्वारा 1707 में गुरु गोबिंद सिंह जी और बहादुर शाह के बीच हुई मुलाकात की याद में बनाया गया था। हर साल यहां होला मोहल्ला उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस गुरुद्वारे में एक संग्रहालय, प्रार्थना कक्ष और एक पुस्तकालय भी है, जो लोगों को आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही तरह के अनुभव प्रदान करता है।

 गुरुद्वारा बाला साहिब जी, सराय काले खां के पास

गुरु हर कृष्ण साहिब जी का गुरुद्वारा अपने शांत वातावरण और संगमरमर की वास्तुकला के लिए जाना जाता है। भक्त मानते हैं कि इसमें हीलिंग ऊर्जा है और वे अक्सर ध्यान और प्रार्थना करने आते हैं।

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