Tulsi Plant: तुलसी के पौधे में होता है मां लक्ष्मी का वास, जानिए भगवान विष्णु से क्या है संबंध

Tulsi Plant
Creative Commons licenses

पुराणों में तुलसी का पवित्र पौधा माना जाता है। भगवान विष्णु से जुड़ा होने के कारण तुलसी की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है।

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं के अलावा पेड़-पौधों की भी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की भी पूजा की जाती है। लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है कि तुलसी की पूजा क्यों की जाती है। वहीं बहुत सारी पूजा में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। 

क्यों की जाती है तुलसी की पूजा

पुराणों में तुलसी का पवित्र पौधा माना जाता है। भगवान विष्णु से जुड़ा होने के कारण तुलसी की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी की पत्ती डालना अनिवार्य होता है, वरना उन्हें भोग स्वीकार नहीं होता है।

इसे भी पढ़ें: Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक देवजी के दस सिद्धांत हर किसी के जीवन के लिए प्रेरणादायी हैं

तुलसी पूजा की कहानी

एक समय की बात है कि जब जालंधर नाम का बेहद शक्तिशाली असुर था। शक्तियों के अलावा जालंधर को अपनी पत्नी वृंदा का संरक्षण प्राप्त था। वंदा भगवान श्रीहरि विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। एक बार जब देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ, तो जालंधर ने देवताओं को हरा दिया। क्योंकि जालंधर की पत्नी वृंदा की आध्यात्मिक शक्तियां उसकी रक्षा कर रही थीं। ऐसे में वृंदा की पवित्रता को भंग करना जरूरी था। 

इसलिए भगवान श्रीहरि विष्णु जालंधर का रूप लेकर वृंदा के पास गए। वहीं वृंदा भगवान श्रीहरि को पहचान नहीं पाई और इस तरह से वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट हो गया। जिसके साथ ही देवता भी जालंधर को मारने में सफल रहे। असुर के मरने के बाद भगवान अपने असली रूप में आ गए और वृंदा ने जब पति की जगह श्रीहरि विष्णु को देखा, तो उसे पता चला कि उसका पतिव्रत धर्म नष्ट होने के कारण पति जीवित नहीं रहा। 

इससे वृंदा इतना अधिक क्रोधित हुईं कि उन्होंने अपने आराध्य श्रीहरि विष्णु को श्राप दे दिया कि वह पत्थर के बन जाएंगे। वहीं भगवान विष्णु ने भी वृंदा के इस श्राप को हृदय से स्वीकार किया। वहीं भगवान विष्णु ने वृंदा के पति के पिछले जन्म की पूरी वास्तविकता से परिचित करवाया। जिस पर वृंदा को अपनी गलती का एहसास हुआ। तब उन्होंने अपने इष्टदेव से क्षमा मांगी और पति के जीवित न रहने पर अपने प्राण त्यागने की इच्छा जताई। 

तब भगवान श्रीहरि ने वृंदा की भक्ति से प्रसन्न होकर कहा कि उनकी चिता की राख से तुलसी का पौधा होता और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के अंश शालिग्राम से होगा। साथ ही तुलसी के बिना भगवान श्रीहरि पूजा स्वीकार्य नहीं करेंगे। इसलिए तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है और कार्तिक महीने में तुलसी व शालिग्राम का विवाह होता है। बताया जाता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। 

तुलसी के पौधे का संबंध

तुलसी के पौधे को स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का प्रवेश द्वार है। शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी के निचले शाखाओं में और तने में में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है। पौराणिक कथाओं और शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, जिस भी व्यक्ति के घर तुलसी का पौधा होता है और व्यक्ति रोजाना मां तुलसी की पूजा करता है। उसके घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही इस पौधे को घर में लगाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़