Pauranik Katha: क्या थी वो गलती, ब्रह्मा जी को क्यों मिली कम पूजा, शिव से जुड़े इस चौंकाने वाले सत्य को जानें

ब्रह्मदेव को त्रिदेवों में गिना जाता है। लेकिन इसके बाद भी भगवान शिव और भगवान विष्णु के जितना ब्रह्माजी की पूजा-अर्चना का प्रचलन नहीं है। लेकिन क्या आपको इसको पीछे की वजह मालूम है। अगर आपका जवाब न है, तो आज हम आपको ब्रह्माजी से जुड़ी इस पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कई ऐसी पौराणिक कथाओं का वर्णन मिलता है, जो हमें कुछ न कुछ सीख देने के साथ हैरान भी कर देती हैं। ऐसे में आज हम आपको सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी से जुड़ी एक ऐसी ही कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते होंगे कि ब्रह्मदेव को त्रिदेवों में गिना जाता है। लेकिन इसके बाद भी भगवान शिव और भगवान विष्णु के जितना ब्रह्माजी की पूजा-अर्चना का प्रचलन नहीं है। लेकिन क्या आपको इसको पीछे की वजह मालूम है। अगर आपका जवाब न है, तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ब्रह्माजी से जुड़ी इस पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
जानिए क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक पूरे संसार की रचना का काम ब्रह्मा जी को सौंपा गया। जब ब्रह्मदेव संसार की रचना कर रहे थे, तो उन्होंने एक अत्यंत सुंदर स्त्री की रचना की। इस स्त्री का नाम शतरूपा रखा गया। शतरूपा इतनी अधिक सुंदर थी कि स्वयं ब्रह्मदेव भी उस पर मोहित हो गए और वह अपनी नजरें शतरूपा से नहीं हटा पाए।
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वहीं जब ब्रह्मदेव इस तरह से शतरूपा को टकटकी लगाकर निहार रहे थे, तो इससे शतरूपा विचलित हो गई। ऐसे में उसने ब्रह्मदेव की नजरों से बचने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन शतरूपा सफल नहीं हो सकी।
शिव जी को क्यों आया क्रोध
बता दें कि यह सारा दृश्य भगवान शिव भी देख रहे थे और वह ब्रह्माजी पर अत्यंत क्रोधित हुए। क्योंकि सतरूपा ब्रह्मा जी की पुत्री के समान थीं। इसलिए भगवान शिव को ब्रह्मा जी का सतरूपा को इस प्रकार टकटकी लगाकर देखना घोर अपराध लगा। ऐसे में भगवान शिव ने अपना एक गण भगवान भैरव प्रकट किया। भगवान भैरव ने भगवान शिव के आदेश पर ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया।
इसके बाद ब्रह्मदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह महादेव से क्षमा मांगने लगे। धार्मिक मान्यता है कि इसी वजह से त्रिदेवों में मौजूद होने के बाद भी भगवान शिव और भगवान विष्णु की तरह ब्रह्मदेव की पूजा नहीं की जाती है। इसी गलती के परिणाम स्वरूप पूरे भारत में ब्रह्माजी का सिर्फ एक मंदिर है, जोकि राजस्थान के पुष्कर में है।
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