अरब देशों ने बैन लगाया, पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया, 'धुरंधर' ने ऐसा क्या दिखाया, मोदी विरोधी गैंग भी गुस्साया

क्या पाकिस्तान का विरोध करना भारतीय मुसलमानों का विरोध करना है? क्या पाकिस्तान के आतंकवाद पर हमला करके, पाकिस्तान को एक्सपोज करके हम भारतीय मुसलमानों पर हमला कर रहे हैं? बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के ही पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मार रही है। इसलिए हिंदुस्तान में भी कुछ लोगों को चुभ रही है।
"हिंदुस्तानियों का सबसे बड़ा दुश्मन हिंदुस्तानी ही है। पाकिस्तान तो दूसरे नंबर पर आता है" आदित्य धर की फिल्म धुरंधर ने इस वक्त धूम मचाई हुई है। धुरंधर फिल्म ने आते ही ऐसा धमाका किया है कि 5 दिन में 200 करोड़ छाप दिए हैं। ये फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित बताई जाती है। इसमें पांच दिग्गज अभिनेताओं ने ऐसे किरदार निभाए हैं जो असली लोगों से इंस्पायर्ड बताए जा रहे हैं। धुरंधर पिछले हफ्ते 5 दिसंबर को रिलीज हुई। उसके बाद से एक बड़ा वर्ग इसकी बहुत तारीफ कर रहा है और अच्छा सिनेमा बता रहा है। इसमें एक सही मुद्दे को लेकर रियलस्टिक ट्रीटमेंट दिया गया है। लेकिन भारत में ही मौजूद कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें इस फिल्म से परेशानी हो रही है। धुरंधर के इस धमाके के बीच एक इकोसिस्टम सुलग रहा है। यह इकोसिस्टम धुरंधर फिल्म के पीछे पड़ गया है। कोई कह रहा है कि यह प्रोपेगेंडा है। कोई कह रहा है कि अरे यह ट्रोल लेवल की फिल्म है। कोई कह रहा है कि फिल्म बनाने वाले ने लिमिट क्रॉस कर दी। यानी धुरंधर में कुछ तो ऐसा दिखाया गया है जो एक इको सिस्टम को परेशान कर रहा है। उन्हें जबरदस्त आग लगी हुई है। सवाल ये है कि पाकिस्तान के आतंकवाद की सच्चाई उन वर्गों को इतनी चुभ क्यों रही है। क्या फिल्म पर भी राजनीति हो सकती है? क्या किसी फिल्म की कहानी पर भी राजनीति हो सकती है और क्या कोई फिल्म भी एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। धुरंधर फिल्म ऐसी ही है, जो अभी आई है और वो आते ही एक बड़ा मुद्दा बन गई है उस फिल्म को लेकर बहुत सारे सवाल किए जा रहे हैं। क्या पाकिस्तान का विरोध करना भारतीय मुसलमानों का विरोध करना है? क्या पाकिस्तान के आतंकवाद पर हमला करके, पाकिस्तान को एक्सपोज करके हम भारतीय मुसलमानों पर हमला कर रहे हैं? बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के ही पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मार रही है। इसलिए हिंदुस्तान में भी कुछ लोगों को चुभ रही है।
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क्यों इतनी चर्चा में है धुरंधर
दुनिया भर में लोगों को फिल्म पसंद आ रही है। जबकि फिल्म 3 घंटे 34 मिनट की है। छोटी-मोटी फिल्म नहीं है। सभी कलाकारों की एक्टिंग की तारीफ हो रही है। फिल्म के एक्शन, बैकग्राउंड, म्यूजिक सब की तारीफ हो रही है। यानी धुरंधर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धुरंधर साबित हो रही है। और इसकी सबसे बड़ी वजह इसकी कहानी है। फिल्म धुरंधर के सभी मेन कैरेक्टर किसी ना किसी रियल लाइफ किरदार से प्रेरित हैं। फिल्म में रणवीर सिंह ने भारतीय जासूस का किरदार निभाया है। फिल्म में रणवीर सिंह का नाम हम अली मज़ारी है। जो बलोच है और यह आम बॉलीवुड जासूसों की तरह नहीं है। रणवीर सिंह का कैरेक्टर पाकिस्तान में घुसकर भारत की एजेंसियों को खुफ़िया जानकारी भेजता है। फिल्म में रणवीर सिंह कराची के अंडरवर्ल्ड का हिस्सा बन जाता है और फिर वहां से पाकिस्तान के आतंकी गैंगस्टर सरकार और आईएसआई के गठजोड़ के बारे में भारत जानकारी भेजता है। इसी तरह से फिल्म में माधवन ने इंटेलिजेंस अधिकारी अजय सानियाल का रोल किया है। अजय सानियाल के गेटअप में माधवन को देखकर कोई भी आसानी से कह रहे कह दे रहा है कि अरे यह तो अजीत डोभाल हैं। हालांकि में यह दावा नहीं किया गया है कि अजय सानियाल जो हैं वो अजीत डोभाल के कैरेक्टर से प्रेरित हैं।
ल्यारी के रहमान डकैत की पूरी कहानी
70 के दशक में उससे भी पहले बेनजीर भुट्टो के पापा और पाकिस्तान के तत्कालीन सदर जुल्फिकार अली भुट्टो ने लिल्या के लोगों को जमीन से जुड़े अधिकारों में जगह दी थी। तब से यह तय हो गया किरी के लोग अपनी वफादारी भुट्टो परिवार की ओर ही रखेंगे। इसलिए लियारी को भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पीपीपी का गढ़ माना जाता रहा। उन्हें साथ मिला रहमान बलोच, अब्दुल रहमान बलोच और उसके चचेरे भाई उज़ैर बलोच का लारी के सबसे बड़े गुंडे और गिरोहबाज शराब बेचने, हथियार बेचने, हफ्ता वसूलने, अपहरण कर फिरौती उठाने, हत्या वगैरह करने जैसे कामों से दोनों भाइयों ने लारी की गलियों में दहशत भर के रखी हुई थी। मुताहिदा कौमी मूवमेंट एमक्यूएम नाम के राजनीतिक मूवमेंट से उन्हें चुनौती मिली। एमक्यूएम और उसके मसलमैन अरशद पप्पू और बलोच गैंग में लफड़े अक्सर होते रहते थे। सब किसी ना किसी नेता से जुड़े हुए थे। पुलिस उन्हें छू भी नहीं सकती थी। ऐसे में एसपी चौधरी असलम को याद किया गया।
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रहमान का विवादास्पद एनकाउंटर
इससे पहले कि वह राजनीतिक सफलता की लहर पर सवार हो पाता, अगस्त 2009 में पुलिस के साथ मुठभेड़ में रहमान को गोली मार दी गई। 9 अगस्त 2009 का दिन था। रहमान अपने तीन साथियों औरंगजेब, नजीर और अकील के साथ स्टील टाउन की तरफ जा रहा था। तभी रास्ते में जिले के एसएसपी (एसएसपी) चौधरी असलम खान की टीम ने उसकी कार रोकी। पुलिस टीम का रवैया देखकर रहमान को शक हो गया था। मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, रहमान और उसके तीन साथियों औरंगजेब, नजीर और अकील ने पुलिस पर गोलीबारी की। जिसके जवाब में पुलिस टीम ने भी फायरिंग शुरू कर दी। जब गोलियों की आवाज़ थमी तो ल्यारी का एक अध्याय खत्म हो चुका था रहमान मारा जा चुका था।
भारत के नकली नोट पाकिस्तान में कैसे बनते हैं?
फिल्म में पाकिस्तान के असली किरदारों के आधार पर कहानी कही गई है। इसके अलावा फिल्म में पाकिस्तान में भारत के नकली नोट कैसे बनते हैं? इसके बारे में भी बता दिया गया है जिससे कुछ लोग बौखला उठे हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि भारत के नकली नोट आईएसआई के गोदाम में अखबार की तरह छपते हैं। नकली नोट में बिल्कुल असली नोट जैसे सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि एक ब्रिटिश फर्म पाकिस्तान को इंडियन करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड सप्लाई करती है। नकली नोट पहले कतर भेजे जाते हैं। क़तर से नेपाल और फिर वहां से भारत भेजे जाते हैं। पाकिस्तान में भारत के नकली नोट छापने का काम आईएसआई और पाकिस्तानी बिजनेसमैन जावेद खनानी करते हैं। जावेद खनानी को भी फिल्म धुरंधर में दिखाया गया है। फिल्म धुरंधर में एक ब्रिटिश फर्म का भी जिक्र किया गया है। लेकिन हकीकत में एक ब्रिटिश कंपनी है जो भारत और पाकिस्तान को करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड सप्लाई करती थी। उसका नाम है डेलारू। डेला रू कंपनी दुनिया के 140 देशों के साथ काम करती है। करेंसी पेपर सिक्योरिटी फीचर्स की सप्लाई करती है। यही कंपनी भारत को करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड थ्रेड देती थी और पाकिस्तान को भी यही सारी चीजें सप्लाई करती थी। इसी वजह से डेला रू के ऊपर कई सवाल खड़े हुए।
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पनामा पेपर्स में भी आया था डेलारू का नाम
पनामा पेपर्स में भी डेलार रू का नाम आया और आरोप लगा कि डेल रू ने भारत में ठेका लेने के लिए एक एजेंट को 15% का कमीशन दिया था। साल 2010 में डेलार रू को ब्लैकिस्ट कर दिया गया था। लेकिन 2023 में सीबीआई ने पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की और आरोप था कि 2012 में डेलारू के पुराने कॉन्ट्रैक्ट को गलत तरीके से बढ़ाया गया। उस समय अरविंद मायाराम आर्थिक मामलों के सचिव थे। आरोप था कि मायाराम ने नोटों के लिए खास सिक्योरिटी थ्रेड की सप्लाई के लिए गैर कानानूनी तरीके से एक्सटेंशन दिया।
बलोच से पाकिस्तान की नफरत
फिल्म में पाकिस्तान और बलूचिस्तान के रिश्ते को भी बहुत बारीकी से उठाया गया है। और एक और डायलॉग है इसमें जिसमें संजय दत्त जो अभिनेता हैं इसमें वो कहते हैं कि मगरमच्छ पर भरोसा कर सकते हैं लेकिन बलोच पर नहीं। और इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान के लोग किस कदर बलोच लोगों से नफरत करते हैं। और फिल्म में भी यही दिखाया कि पाकिस्तान के लोग बलोच लोगों से नफरत करते हैं और कैसे बलूचिस्तान के लोग लगातार पाकिस्तान से आजादी मांग रहे हैं। लड़ रहे हैं आजादी के लिए। और यह इस फिल्म में दिखाया गया है।
बिना वीजा-पासपोर्ट के पाकिस्तान की घुसकर पिटाई
यह नया भारत है जो पाकिस्तान के लिए शांति के कबूतर नहीं उड़ाता बल्कि धुरंधर की तरह पाकिस्तान को घर में घुसकर मारता है। और बात रही फिल्म की तो फिल्म अपनी मेरिट के हिसाब से चलती है। फिल्म को बुरी फिल्म को कोई हिट नहीं बना सकता और अच्छी फिल्म को कोई फ्लॉप नहीं कर सकता। धुरंधर जैसी भी फिल्म है चाहे अच्छी है या बुरी है। फिल्म कैसी लगी और फिल्म की जो कहानी है उसमें उन्हें सच्चाई दिखाई दी या नहीं दी।
अरब देशों में बैन
छह गल्फ कंट्रीज यानी खाड़ी देशों में फिल्म धुरंधर को बैन कर दिया गया है और पाकिस्तान के दोस्त धुरंधर के दुश्मन बन गए हैं। पहला देश बहरेन, दूसरा कुवैत, तीसरा ओमान। इसके अलावा क़तर, सऊदी अरब के साथ यूएई ने भी पाकिस्तान को खुश करने के लिए धुरंधर से उचित दूरी बना ली है। वहां पर इस फिल्म को रिलीज नहीं किया जाएगा। फिल्म में दिखाए गए दृश्य पाकिस्तान का दर्द बढ़ा रहे हैं और एक-एक डायलॉग पाकिस्तानी सत्ता के कानों को चुभ रहा है क्योंकि धुरंधर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सच दिखाया गया है। आतंकियों के गढ़ दिखाए गए हैं और भारत के खिलाफ साजिशों वाले संवाद भी हैं।
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