अरब देशों ने बैन लगाया, पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया, 'धुरंधर' ने ऐसा क्या दिखाया, मोदी विरोधी गैंग भी गुस्साया

Dhurandhar
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अभिनय आकाश । Dec 12 2025 12:37PM

क्या पाकिस्तान का विरोध करना भारतीय मुसलमानों का विरोध करना है? क्या पाकिस्तान के आतंकवाद पर हमला करके, पाकिस्तान को एक्सपोज करके हम भारतीय मुसलमानों पर हमला कर रहे हैं? बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के ही पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मार रही है। इसलिए हिंदुस्तान में भी कुछ लोगों को चुभ रही है।

"हिंदुस्तानियों का सबसे बड़ा दुश्मन हिंदुस्तानी ही है। पाकिस्तान तो दूसरे नंबर पर आता है" आदित्य धर की फिल्म धुरंधर ने इस वक्त धूम मचाई हुई है। धुरंधर फिल्म ने आते ही ऐसा धमाका किया है कि 5 दिन में 200 करोड़ छाप दिए हैं। ये फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित बताई जाती है। इसमें पांच दिग्गज अभिनेताओं ने ऐसे किरदार निभाए हैं जो असली लोगों से इंस्पायर्ड बताए जा रहे हैं। धुरंधर पिछले हफ्ते 5 दिसंबर को रिलीज हुई। उसके बाद से एक बड़ा वर्ग इसकी बहुत तारीफ कर रहा है और अच्छा सिनेमा बता रहा है। इसमें एक सही मुद्दे को लेकर रियलस्टिक ट्रीटमेंट दिया गया है। लेकिन भारत में ही मौजूद कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें इस फिल्म से परेशानी हो रही है। धुरंधर के इस धमाके के बीच एक इकोसिस्टम सुलग रहा है। यह इकोसिस्टम धुरंधर फिल्म के पीछे पड़ गया है। कोई कह रहा है कि यह प्रोपेगेंडा है। कोई कह रहा है कि अरे यह ट्रोल लेवल की फिल्म है। कोई कह रहा है कि फिल्म बनाने वाले ने लिमिट क्रॉस कर दी। यानी धुरंधर में कुछ तो ऐसा दिखाया गया है जो एक इको सिस्टम को परेशान कर रहा है। उन्हें जबरदस्त आग लगी हुई है। सवाल ये है कि पाकिस्तान के आतंकवाद की सच्चाई उन वर्गों को इतनी चुभ क्यों रही है। क्या फिल्म पर भी राजनीति हो सकती है? क्या किसी फिल्म की कहानी पर भी राजनीति हो सकती है और क्या कोई फिल्म भी एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। धुरंधर फिल्म ऐसी ही है, जो अभी आई है और वो आते ही एक बड़ा मुद्दा बन गई है उस फिल्म को लेकर बहुत सारे सवाल किए जा रहे हैं। क्या पाकिस्तान का विरोध करना भारतीय मुसलमानों का विरोध करना है? क्या पाकिस्तान के आतंकवाद पर हमला करके, पाकिस्तान को एक्सपोज करके हम भारतीय मुसलमानों पर हमला कर रहे हैं? बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के ही पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मार रही है। इसलिए हिंदुस्तान में भी कुछ लोगों को चुभ रही है।

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क्यों इतनी चर्चा में है धुरंधर

दुनिया भर में लोगों को फिल्म पसंदरही हैजबकि फिल्म 3 घंटे 34 मिनट की हैछोटी-मोटी फिल्म नहीं हैसभी कलाकारों की एक्टिंग की तारीफ हो रही हैफिल्म के एक्शन, बैकग्राउंड, म्यूजिक सब की तारीफ हो रही हैयानी धुरंधर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धुरंधर साबित हो रही हैऔर इसकी सबसे बड़ी वजह इसकी कहानी हैफिल्म धुरंधर के सभी मेन कैरेक्टर किसी ना किसी रियल लाइफ किरदार से प्रेरित हैंफिल्म में रणवीर सिंह ने भारतीय जासूस का किरदार निभाया हैफिल्म में रणवीर सिंह का नाम हम अली मज़ारी हैजो बलोच है और यह आम बॉलीवुड जासूसों की तरह नहीं हैरणवीर सिंह का कैरेक्टर पाकिस्तान में घुसकर भारत की एजेंसियों को खुफ़िया जानकारी भेजता हैफिल्म में रणवीर सिंह कराची के अंडरवर्ल्ड का हिस्सा बन जाता है और फिर वहां से पाकिस्तान के आतंकी गैंगस्टर सरकार और आईएसआई के गठजोड़ के बारे में भारत जानकारी भेजता हैइसी तरह से फिल्म में माधवन ने इंटेलिजेंस अधिकारी अजय सानियाल का रोल किया हैअजय सानियाल के गेटअप में माधवन को देखकर कोई भी आसानी से कह रहे कह दे रहा है कि अरे यह तो अजीत डोभाल हैंहालांकि में यह दावा नहीं किया गया है कि अजय सानियाल जो हैं वो अजीत डोभाल के कैरेक्टर से प्रेरित हैं

ल्यारी के रहमान डकैत की पूरी कहानी

70 के दशक में उससे भी पहले बेनजीर भुट्टो के पापा और पाकिस्तान के तत्कालीन सदर जुल्फिकार अली भुट्टो ने लिल्या के लोगों को जमीन से जुड़े अधिकारों में जगह दी थीतब से यह तय हो गया किरी के लोग अपनी वफादारी भुट्टो परिवार की ओर ही रखेंगेइसलिए लियारी को भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पीपीपी का गढ़ माना जाता रहा उन्हें साथ मिला रहमान बलोच, अब्दुल रहमान बलोच और उसके चचेरे भाई उज़ैर बलोच का लारी के सबसे बड़े गुंडे और गिरोहबाज शराब बेचने, हथियार बेचने, हफ्ता वसूलने, अपहरण कर फिरौती उठाने, हत्या वगैरह करने जैसे कामों से दोनों भाइयों ने लारी की गलियों में दहशत भर के रखी हुई थीमुताहिदा कौमी मूवमेंट एमक्यूएम नाम के राजनीतिक मूवमेंट से उन्हें चुनौती मिलीएमक्यूएम और उसके मसलमैन अरशद पप्पू और बलोच गैंग में लफड़े अक्सर होते रहते थेसब किसी ना किसी नेता से जुड़े हुए थेपुलिस उन्हें छू भी नहीं सकती थीऐसे में एसपी चौधरी असलम को याद किया गया

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रहमान का विवादास्पद एनकाउंटर

इससे पहले कि वह राजनीतिक सफलता की लहर पर सवार हो पाता, अगस्त 2009 में पुलिस के साथ मुठभेड़ में रहमान को गोली मार दी गई। 9 अगस्त 2009 का दिन थारहमान अपने तीन साथियों औरंगजेब, नजीर और अकील के साथ स्टील टाउन की तरफ जा रहा थातभी रास्ते में जिले के एसएसपी (एसएसपी) चौधरी असलम खान की टीम ने उसकी कार रोकीपुलिस टीम का रवैया देखकर रहमान को शक हो गया थामीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, रहमान और उसके तीन साथियों औरंगजेब, नजीर और अकील ने पुलिस पर गोलीबारी कीजिसके जवाब में पुलिस टीम ने भी फायरिंग शुरू कर दीजब गोलियों की आवाज़ थमी तो ल्यारी का एक अध्याय खत्म हो चुका था रहमान मारा जा चुका था

भारत के नकली नोट पाकिस्तान में कैसे बनते हैं?

फिल्म में पाकिस्तान के असली किरदारों के आधार पर कहानी कही गई हैइसके अलावा फिल्म में पाकिस्तान में भारत के नकली नोट कैसे बनते हैं? इसके बारे में भी बता दिया गया है जिससे कुछ लोग बौखला उठे हैंफिल्म में दिखाया गया है कि भारत के नकली नोट आईएसआई के गोदाम में अखबार की तरह छपते हैंनकली नोट में बिल्कुल असली नोट जैसे सिक्योरिटी फीचर्स होते हैंफिल्म में दिखाया गया है कि एक ब्रिटिश फर्म पाकिस्तान को इंडियन करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड सप्लाई करती हैनकली नोट पहले कतर भेजे जाते हैंक़तर से नेपाल और फिर वहां से भारत भेजे जाते हैंपाकिस्तान में भारत के नकली नोट छापने का काम आईएसआई और पाकिस्तानी बिजनेसमैन जावेद खनानी करते हैंजावेद खनानी को भी फिल्म धुरंधर में दिखाया गया हैफिल्म धुरंधर में एक ब्रिटिश फर्म का भी जिक्र किया गया हैलेकिन हकीकत में एक ब्रिटिश कंपनी है जो भारत और पाकिस्तान को करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड सप्लाई करती थीउसका नाम है डेलारूडेला रू कंपनी दुनिया के 140 देशों के साथ काम करती हैकरेंसी पेपर सिक्योरिटी फीचर्स की सप्लाई करती हैयही कंपनी भारत को करेंसी पेपर और सिक्योरिटी थ्रेड थ्रेड देती थी और पाकिस्तान को भी यही सारी चीजें सप्लाई करती थीइसी वजह से डेला रू के ऊपर कई सवाल खड़े हुए

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पनामा पेपर्स में भी आया था डेलारू का नाम

पनामा पेपर्स में भी डेलार रू का नाम आया और आरोप लगा कि डेल रू ने भारत में ठेका लेने के लिए एक एजेंट को 15% का कमीशन दिया थासाल 2010 में डेलार रू को ब्लैकिस्ट कर दिया गया थालेकिन 2023 में सीबीआई ने पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की और आरोप था कि 2012 में डेलारू के पुराने कॉन्ट्रैक्ट को गलत तरीके से बढ़ाया गयाउस समय अरविंद मायाराम आर्थिक मामलों के सचिव थेआरोप था कि मायाराम ने नोटों के लिए खास सिक्योरिटी थ्रेड की सप्लाई के लिए गैर कानानूनी तरीके से एक्सटेंशन दिया

बलोच से पाकिस्तान की नफरत

फिल्म में पाकिस्तान और बलूचिस्तान के रिश्ते को भी बहुत बारीकी से उठाया गया हैऔर एक और डायलॉग है इसमें जिसमें संजय दत्त जो अभिनेता हैं इसमें वो कहते हैं कि मगरमच्छ पर भरोसा कर सकते हैं लेकिन बलोच पर नहींऔर इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान के लोग किस कदर बलोच लोगों से नफरत करते हैंऔर फिल्म में भी यही दिखाया कि पाकिस्तान के लोग बलोच लोगों से नफरत करते हैं और कैसे बलूचिस्तान के लोग लगातार पाकिस्तान से आजादी मांग रहे हैंलड़ रहे हैं आजादी के लिएऔर यह इस फिल्म में दिखाया गया है

बिना वीजा-पासपोर्ट के पाकिस्तान की घुसकर पिटाई

यह नया भारत है जो पाकिस्तान के लिए शांति के कबूतर नहीं उड़ाता बल्कि धुरंधर की तरह पाकिस्तान को घर में घुसकर मारता हैऔर बात रही फिल्म की तो फिल्म अपनी मेरिट के हिसाब से चलती हैफिल्म को बुरी फिल्म को कोई हिट नहीं बना सकता और अच्छी फिल्म को कोई फ्लॉप नहीं कर सकताधुरंधर जैसी भी फिल्म है चाहे अच्छी है या बुरी हैफिल्म कैसी लगी और फिल्म की जो कहानी है उसमें उन्हें सच्चाई दिखाई दी या नहीं दी

अरब देशों में बैन

छह गल्फ कंट्रीज यानी खाड़ी देशों में फिल्म धुरंधर को बैन कर दिया गया है और पाकिस्तान के दोस्त धुरंधर के दुश्मन बन गए हैंपहला देश बहरेन, दूसरा कुवैत, तीसरा ओमानइसके अलावा क़तर, सऊदी अरब के साथ यूएई ने भी पाकिस्तान को खुश करने के लिए धुरंधर से उचित दूरी बना ली हैवहां पर इस फिल्म को रिलीज नहीं किया जाएगाफिल्म में दिखाए गए दृश्य पाकिस्तान का दर्द बढ़ा रहे हैं और एक-एक डायलॉग पाकिस्तानी सत्ता के कानों को चुभ रहा है क्योंकि धुरंधर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सच दिखाया गया हैआतंकियों के गढ़ दिखाए गए हैं और भारत के खिलाफ साजिशों वाले संवाद भी हैं। 

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