बंगालियों की संगीत समझ को आशा भोसले ने सराहा

Asha Bhosle admired the music understanding of Bengalis
[email protected] । Apr 30 2018 2:01PM

हिन्दी के अलावा 20 भारतीय और विदेशी भाषाओं में गीत गाने वाली गायिका ने अपने 75 साल के पार्श्वगायन के अनुभव को याद किया।

कोलकाता। सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोसले ने बंगालियों की संगीत समझ की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने (बंगालियों ने) किसी भी संगीत समरोह में उन पर लोकप्रिय हिन्दी फिल्मी गीत गाने का दबाव नहीं डाला और इसे उनकी (आशा की) पसंद पर छोड़ दिया। आशा ने कल यहां एक समारोह में पिता दीनानाथ मंगेशकर द्वारा संगीतबद्ध किया गया एक मराठी गीत सुनाया। फिर उन्होंने कहा कि दूसरे स्थानों की तरह यहां उनसे उनके गाये लोकप्रिय हिन्दी पार्श्वगीतों को सुनाने का अनुरोध नहीं किया गया। ‘‘मैं इस संगीत समझ की सराहना करती हूं।’’ उन्होंने जो गीत सुनाया उसके बारे में कहा कि यह गीत शास्त्रीय संगीत पर आधारित है। उनके पिता ने अलहदा तरह से इस गीत को संगीत में पिरोया था। हिन्दी के अलावा 20 भारतीय और विदेशी भाषाओं में गीत गाने वाली गायिका ने अपने 75 साल के पार्श्वगायन के अनुभव को याद किया। आशा भोसले इस वक्त 84 वर्ष की हैं।

‘सावन आया’ गीत से 1948 में अपने सफर की शुरूआत करने वाली आशा ने कहा, ‘‘मैंने अब तक हजारों फिल्मों में गीत गाये हैं। लेकिन मैं महसूस करती हूं कि जो मेरे पिता ने सिखाया और फिल्मों में जैसे गीत गा रही हूं, वह एकदम अलग है।’’ उस्ताद अली अकबर खान के साथ ग्रैमी पुरस्कार के नामांकित होने वाली पहली भारतीय गायिका ने कहा, ‘‘मैंने कई बांग्ला गीत गाये और रबिंद्र संगीत को भी स्वर दिया। पर अफसोस है कि मैं बांग्ला भूल गयी हूं।’’ पहला बांग्ला गीत 1958 में गाने वाली आशा ने कहा, ‘‘मेरा कोलकाता से पहला परिचय बचपन में शरत बाबू का उपन्यास का पढ़ते वक्त हुआ। .... मैं व्यक्तिगत रूप से आपकी संस्कृति को जानने के लिए उत्सुक थी। इसका अवसर मुझे 1952 में पहले कोलकाता दौरे पर मिला।’’ आशा ने बंगाली महिलाओं को बेहद सुंदर बताया और कहा कि शर्मिला टैगोर इसका बेहतरीन उदाहरण हैं जो ‘सुंदरता और सौम्यता’ का प्रतीक हैं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़