कैफ़ी और फै़ज़ की थी समान विचारधारा: शबाना आजमी

kaifi-and-faiz-had-similar-ideology-shabana-azmi
[email protected] । Nov 18 2018 11:40AM

प्रसिद्ध अभिनेत्री ने कहा कि उनके बचपन के समय उनका परिवार ऐसी जगह रहता था जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सदस्यों के मिलने की जगह भी थी।

लाहौर। पाकिस्तान के लाहौर में आयोजित चौथे इंटरनेशनल फ़ैज़ फेस्टिवल में शामिल होने आईं वरिष्ठ अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि उनके पिता और मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी और चर्चित शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की विचारधारा समान थी और वे बहुत गहरे दोस्त थे। वह शुकवार को शुरू हुये तीन दिवसीय समारोह में भाग लेने के लिए अपने पति और नामचीन शायर जावेद अख्तर के साथ यहां पहुंची थीं। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र ‘‘ कैफी़ और फ़ैज़’’ में शबाना ने कहा, ‘‘हमारा घर थोड़ा छोटा था, लेकिन वहां फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, जोश मलीहाबादी और फ़िराक़ गोरखपुरी जैसे साहित्य जगत के दिग्गज जुटा करते थे। मुझे तब शायरी की समझ नहीं थी लेकिन उन बैठकों का जो माहौल था वह बहुत उम्दा हुआ करता था।’’

प्रसिद्ध अभिनेत्री ने कहा कि उनके बचपन के समय उनका परिवार ऐसी जगह रहता था जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सदस्यों के मिलने की जगह भी थी। शबाना आज़मी ने पुराने दिन याद करते हुये कहा, ‘‘ हम लोग एक छोटे कमरे में रहते थे और कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा उस इमारत का अहम हिस्सा था।’’ उन्होंने कैफ़ी आज़मी के फिल्मी गीत लिखने के तरीके की चर्चा करते हुये कहा कि उनकी फिल्म ‘अर्थ’ का यह गाना, ‘‘कोई ये कैसे बताए वो तन्हा क्यों हैं...’’ बहुत आसान शब्दों में लिख गया है लेकिन उनके मायने बहुत गहरे हैं। उन्होंने कहा कि फै़ज़ और कैफ़ी दोनों की विचारधारा एक ही थी। दोनों मानवतावादी थे, इंसानों से प्यार करते थे और उनमें सहिष्णुता का स्तर गहरा था। इस दौरान अभिनेत्री ने मां शौकत आज़मी और पिता कैफ़ी आज़मी को याद करते हुए बताया कि कैसे 1947 में एक मुशायरे में दोनों की मुलाकात हुई और उनकी मुहब्बत परवान चढ़ी।

शबाना ने फ़ैज़ की मशहूर नज़्म ‘‘ बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’’ भी गुनगुनाई। वहां मौजूद फ़ैज़ की पुत्री सलीमा हाशमी ने कहा, ‘‘ फ़ैज़ की बड़ी तमन्ना थी कि वह टेस्ट क्रिकेटर बनें और फिल्में बनाएं। उन्होंने ‘‘जागो हुआ सवेरा’’ और ‘‘ दूर है सुख का गांव’’ नाम से फिल्में बनायीं पर उनकी क्रिकेटर बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी।जावेद अख्तर ने भी अपनी रचनाएं वक्त, नया हुक्मनामा और आंसू भी श्रोताओं को सुनाईं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़