भारतीयता को बरकरार रखना भारतीय सिनेमा की जिम्मेदारी: उपराष्ट्रपति नायडू
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में कहा कि भारतीयता को बरक़रार रखना भारतीय सिनेमा की ज़िम्मेदारी है। इस अवसर पर साल 2018का दादा साहब फाल्के सम्मान फिल्म उद्योग में हिंदी फ़िल्म जगत के महानायक अमिताभ बच्चन को दिया जाना था लेकिन बच्चन अस्वस्थ होने के कारण समारोह में शिरकत नहीं कर सके।
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने फ़िल्मों को सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाने वाला एक सशक्त माध्यम बताते हुए सोमवार को 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में कहा कि भारतीयता को बरक़रार रखना भारतीय सिनेमा की ज़िम्मेदारी है और मूल्यों पर आधारित श्रेष्ठ फ़िल्मों का निर्माण किया जाना चाहिए। नायडू ने कहा कि कुप्रथाओं का अंत करने और महिला सशक्तिकरण का सार्थक संदेश देने में सिनेमा कारगर हथियार की भूमिका निभाता रहा है और अपेक्षा है कि इस जिम्मेदारी का निर्वाह आगे भी जारी रहेगा। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की फ़िल्मों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए फ़िल्म डिवीज़न द्वारा ‘रियल सिंगल विंडो’ शुरू किए जाने की घोषणा की।
Indian films are popular all over they world. They carry an important message to audiences across the world
— Vice President of India (@VPSecretariat) December 23, 2019
They convey a glimpse of ‘Indianness’ or ‘Bharatheeyatha’ to the outside world
We need to be effective ambassadors in the world of cultural diplomacy.#NationalFilmAwards pic.twitter.com/VFB6KkwVyx
इस अवसर पर नायडू ने फ़िल्म जगत में रचनात्मकता का प्रदर्शन करने वाले श्रेष्ठ कलाकारों सहित विभिन्न लोगों को अलग अलग श्रेणियों में66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों से नवाज़ा। इस अवसर पर साल 2018का दादा साहब फाल्के सम्मान फिल्म उद्योग में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिंदी फ़िल्म जगत के महानायक अमिताभ बच्चन को दिया जाना था लेकिन बच्चन अस्वस्थ होने के कारण समारोह में शिरकत नहीं कर सके। बच्चन ने रविवार को ही बीमार होने के कारण सम्मान ग्रहण करने के लिए दिल्ली पहुँचने में असमर्थता व्यक्त की थी।
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नायडू ने बच्चन के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए फ़िल्मों के माध्यम से देश के लिए किए गए उनके योगदान को सराहनीय बताया। समारोह के अंत मे जावड़ेकर ने बताया कि बच्चन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 दिसंबर को एक संक्षिप्त समारोह में दादा साहब पुरस्कार प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति आज राजधानी से बाहर हैं इसलिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजताओं के सम्मान में 29 दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह आयोजित किया गया है। उसी दौरान बच्चन को भी सम्मानित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बच्चन ने करीब 50 साल पहले 1967 में हिंदी फ़िल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था। अपने दौर की तमाम श्रेष्ठ फ़िल्मों ‘आनंद’ (1971), ज़ंजीर(1973), दीवार (1975), शोले (1975) और डॉन (1978) सहित अन्य फ़िल्मों में बेजोड़ अदाकारी का नमूना पेश करने के लिए बच्चन को फ़िल्म जगत के शीर्ष सम्मान दादा साहब फाल्के के लिए चुना गया। हिंदी फ़िल्म जगत में विभिन्न यादगार भूमिकाओं से माध्यम से पाँच दशक से भी अधिक समय तक उल्लेखनीय योगदान देने वाले बच्चन को 1999 में बीबीसी ने ‘सदी के सितारे’ का ख़िताब दिया था।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा हर साल दिए जाने वाले राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार तीन वर्गों (फ़ीचर फ़िल्म, ग़ैर फ़ीचर फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ सिनेमा लेखन) में विभिन्न श्रेणियों में दिए जाते है। गुजराती फ़िल्म ‘हेल्लारो’ को सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म और हिंदी फ़िल्म ‘बधाई हो’ को लोकप्रिय एवं स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार आयुष्मान खुराना को ‘अंधाधुन’ फ़िल्म के लिए और विकी कौशल को ‘उड़ी द सर्जिकल स्ट्राइक’ के लिए दिया गया जबकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार ‘महानटी’ फ़िल्म की अदाकारा कीर्तिसुरेश को प्रदान किया गया।
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