जैसे-जैसे दर्द बढ़ता जाता है कला निखरती जाती है: नंदिता दास

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[email protected] । Nov 12 2018 5:05PM

अदाकारा और निर्देशक नंदिता दास का कहना है कि कला की खूबसूरती यह है कि जैसे-जैसे दर्द बढ़ता जाता है कला निखरती जाती है। ‘कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव’ (केआईएफएफ) के 24वें संस्करण के दौरान दास ने कहा कि लेखक अपने सबसे

कोलकाता। अदाकारा और निर्देशक नंदिता दास का कहना है कि कला की खूबसूरती यह है कि जैसे-जैसे दर्द बढ़ता जाता है कला निखरती जाती है। ‘कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव’ (केआईएफएफ) के 24वें संस्करण के दौरान दास ने कहा कि लेखक अपने सबसे खराब समय में सबसे अच्छी कहानियां लिखते हैं। नंदिता दास की वर्ष 2018 में आई फिल्म ‘मंटो’ को इस उत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा। अदाकारा ने कहा कि सच्चा कलाकार, लेखक, फिल्मकार वहीं है जो खराब समय में सबसे अधिक निखरे।

अपनी बात पर उन्होंने ऋत्विक घटक और सत्यजीत रे के जीवन का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसमें कोई सीधा संबंध है या नहीं, क्योंकि ऋत्विक घटक और सत्यजीत रे जैसे महान फिल्मकारों ने अलग तरह की परिस्थितियों का सामना किया और उसको लेकर उनका नजरिया भी अलग रहा।’’

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