एक वक्त परिवार चलाने लायक पैसे नहीं होते थेः राकेश रोशन

Rakesh Roshan says he Never moved ahead in career as actor
[email protected] । Jul 1 2017 2:50PM

जाने माने संगीतकार रोशनलाल नागरथ के घर जन्मे राकेश रोशन ने वर्ष 1970 में फिल्म ''घर घर की कहानी'' से अपना अभिनय कॅरियर शुरू करने से पहले चार साल सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया था।

मुंबई। अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक राकेश रोशन अभिनेता के तौर पर उतनी सफलता हासिल नहीं कर पाये लेकिन बतौर निर्माता-निर्देशक उनकी दूसरी पारी बेहद सफल रही। बहरहाल फिल्मकार का कहना है कि उन्होंने कभी कोशिश करना नहीं छोड़ा, यहां तक कि अपने संघर्ष के दिनों में वह अक्सर लोगों से काम के लिये पूछते थे। वर्ष 2017 में हिंदी फिल्म उद्योग में रोशन के 50 साल पूरे हो जायेंगे। अभिनेता-फिल्मकार का मानना है कि शुरुआती संघर्ष के बावजूद ईश्वर ने उनके लिये कुछ बेहतर योजना बना रखी थी।

जाने माने संगीतकार रोशनलाल नागरथ के घर जन्मे राकेश रोशन ने वर्ष 1970 में फिल्म 'घर घर की कहानी' से अपना अभिनय कॅरियर शुरू करने से पहले चार साल सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया था। उन्होंने कहा, 'एक अभिनेता के तौर पर मैं उस तरह सफल नहीं हो पाया लेकिन मैंने प्रयास जारी रखा। मेरी कुछ फिल्मों ने बेहतर प्रदर्शन किया बावजूद इसके मैं आगे नहीं बढ़ पाया। इसलिए मैंने फिल्मों का निर्माण शुरू कर दिया और फिर निर्देशन के क्षेत्र में आ गया।' उन्होंने कहा, 'अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे खुशी होती है। उस वक्त मुझे समझ नहीं आता था कि अपना घर चलाने के लिये मैं किस तरह पैसे कमाउं। मेरी पत्नी थीं, दो बच्चे थे और एक परिवार मेरे ऊपर निर्भर था। लेकिन जैसे तैसे कर सब कुछ होता गया। शायद ईश्वर ने निर्माता निर्देशक बनने की दिशा में मेरे लिये कुछ और सोच रखा था।

रोशन को मुख्य अभिनेता वाली भूमिकाएं तो मिलीं लेकिन सिर्फ महिला प्रधान फिल्मों में। उन्होंने हेमा मालिनी के साथ 'पराया धन', भारती के साथ 'आंख मिचौली' और रेखा के साथ 'खूबसूरत' जैसी फिल्में कीं। सुपरस्टार राजेश खन्ना, संजीव कुमार और अन्य के साथ उन्होंने सहायक अभिनेता के तौर पर काम किया। इसके बाद रोशन ने वर्ष 1980 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी फिल्मक्राफ्ट शुरू की। उनके प्रोडक्शन की पहली फिल्म 'आप के दीवाने' सफल नहीं रही लेकिन इसके बाद आई 'कामचोर' एक जबरदस्त हिट फिल्म रही। वर्ष 1987 में उन्होंने 'खुदगर्ज' से निर्देशकीय पारी शुरू की। इसके बाद उन्होंने 'खून भरी मांग', 'किशन कन्हैया', 'करण अर्जुन' और 'कोयला' जैसी फिल्में निर्देशित कीं। अपने पुत्र ऋतिक रोशन के साथ उन्होंने 'कहो न प्यार है', 'कोई मिल गया' और 'कृष' श्रृंखला की सफल फिल्में कीं।

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