सरोज खान ने 13 की उम्र में 43 साल के अपने मास्टर से की थी शादी, कबूल कर लिया था इस्लाम धर्म

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रेनू तिवारी । Jul 3 2020 10:16AM

सरोज खान के निजी जीवन के बारे में बात करें तो सरोज खान एक हिन्दू परिवार में जन्मी थी। उनका असकी नाम निर्मता नागपाल हैं। सरोज खान का परिवार देश के बटवारे से पहले पाकिस्तान वाली भूमि पर रहता था। बंटवारे के बाद सरोज का परिवार भारत आ गया।

बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए साल 2020 काफी दर्दनाक रहा। कुछ ही समय में बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 29 अप्रैल को इरफान खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया, 30 अप्रैल को ऋषि कपूर की खबर आयी। इसके कुछ दिन बाद वाजिद खान गुजर गये। फिर 14 जून को तो मानों बॉलीवुड हिल गया जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर आयी। अब 3 जुलाई को सुबह भी बुरी खबर से हुई। बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का दिल का दौरा पड़ने से 72 साल की उम्र में निधन हो गया। सरोज खान ने मुंबई के गुरु नानक अस्पताल में अंतिम सांस ली। 

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सरोज खान को मदर ऑफ डांस कहा जाता है। उन्होंने बॉलीवुड की हर बड़ी एक्ट्रेस को अपने डांस मूव्स पर नचवाया है। उन्होंने लगभग 2000 से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया है। अपने 40 साल के करियर में उन्होंने तीन बार नेशनल अवॉर्ड के साथ कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की। सरोज खान ने महज 3 साल की उम्र में फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम किया था। 13 साल की उम्र में उन्होंने डांस सीखा।

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सरोज खान के निजी जीवन के बारे में बात करें तो सरोज खान एक हिन्दू परिवार में जन्मी थी। उनका असकी नाम निर्मता नागपाल हैं। सरोज खान का परिवार देश के बटवारे से पहले पाकिस्तान वाली भूमि पर रहता था। बंटवारे के बाद सरोज का परिवार भारत आ गया। सब कुछ पाकिस्तान में छूट जाने के कारण परिवार की हालत काफी खराब थी। सरोज के पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह है। पैसे की तंगी के कारण  सरोज  ने अपने करियर की शुरुआत तीन साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में फिल्म नज़राना से की। इस फिल्म में सरोज का किरदार श्यामा नाम की लड़की का था। 

 

सरोज खान ने फिल्मों में काम करने के साथ-साथ कोरियोग्राफर बी. सोहनलाल से डांस की ट्रेनिंग भी ली। सरोज खान ने महज 13 साल की उम्र में  अपने डांसर टीचर  बी. सोहनलाल ने शादी कर ली। जब सरोज ने शादी की तो उनकी उम्र 13 थी और उनके पति  की उम्र 43 साल थी। बी. सोहनलाल के पहले से ही चार बच्चें थे। शादी के बाद सरोज खान ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। इस बात का खुलासा सरोज खान ने एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने कहा था कि लोग मुझसे पूछते थे कि क्या मैंने किसी के दबाव में आकर तो इस्लाम धर्म नहीं अपनाया? मैंने इस्लाम को अपनी मर्जी से चुना था।

 

  बाद में, वह खुद एक कोरियोग्राफर के रूप में कोरियोग्राफी में शिफ्ट हो गईं, और फिल्म गीता मेरा नाम (1974) के साथ एक स्वतंत्र कोरियोग्राफर के रूप में उन्हें ब्रेक मिला। हालाँकि, उन्हें प्रशंसा प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ा, जो श्रीदेवी के साथ काम करके मिली। मिस्टर इंडिया (1987), नगीना (1986) और चांदनी (1989), और बाद में माधुरी दीक्षित के साथ, हवा दो, तेजाब (1988), तम्मा तम्मा लोगे, थानेदार (1990) में तम्मा तम्मा लोगे के साथ शुरू हुआ। धक धक करने लागा में (1992) के बाद, वह बॉलीवुड की सबसे सफल कोरियोग्राफर बन गई। 

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