सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है सरकारः कांत

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कमलेश पांडे । Nov 12 2018 4:21PM

समावेशी विकास का सर्वानुकूल ताना-बाना क्या हो, इस पर अधिकांश बुद्धिजीवियों की अलग-अलग राय है। लेकिन इस बात से लगभग सभी सहमत दिखे कि विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों के हित में सतत विकास होना अत्यंत आवश्यक है।

समावेशी विकास का सर्वानुकूल ताना-बाना क्या हो, इस पर अधिकांश बुद्धिजीवियों की अलग-अलग राय है। लेकिन इस बात से लगभग सभी सहमत दिखे कि विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों के हित में सतत विकास होना अत्यंत आवश्यक है। लिहाजा, प्रबुद्ध समाज को सतत विकास लक्ष्य को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। मौका था इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में गत दिनों आयोजित समावेशी विकास लक्ष्य को समर्पित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का, जहां कोई भी व्यक्ति विकास क्रम में पीछे नहीं छूट जाए, इस बात पर खुलकर चर्चा हुई। इससे इस विषय से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर भी प्रकाश पड़ा।

सार स्वरूप नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कह दिया कि भारत और दक्षिण अफ्रीका में शहरीकरण की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। यदि जरूरत है तो इसे तलाशने और तराशने की। एक तरफ अमेरिका और यूरोप में शहरीकरण सम्पन्न हो चुका है, तो दूसरी तरफ चीन में यह प्रक्रिया अपने अंतिम दौर में पैक होने के कगार पर खड़ी है। इसलिए भारत और दक्षिण अफ्रीका में शहरीकरण तो हो, लेकिन अमेरिकी (पाश्चात्य) तर्ज पर नहीं बल्कि स्वदेशी खासकर समावेशी तरीके से हो जो सर्वहित साधक हो।

मसलन, अमिताभ कांत का यह कटाक्ष कि अमेरिकी शहर कार के लिए बने हैं आम लोगों के लिए नहीं, हमारे रणनीतिकारों को बहुत कुछ सोचने-समझने को विवश करता है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि बिना तकनीकी विकास के हम लोग समावेशी या सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त ही नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमें तकनीक का कैसे प्रयोग करना है, कैसे तकनीकी शिक्षा हासिल करनी है, आम छात्रों को कैसे शिक्षित-प्रशिक्षित करना है, इस बात पर ज्यादा ध्यान देना होगा। साथ ही, इस निमित्त सम्पर्क और सहयोग में रहने वाले देशों को भी ऐसे ही ध्यान दिलाना होगा, अन्यथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना हर किसी के लिए मुश्किल होगा।

उनसे पूर्व, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के सामाजिक चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार दीपक द्विवेदी ने स्पष्ट किया था कि सतत विकास लक्ष्य की उपलब्धियां हासिल करना किसी भी व्यक्ति या समूह की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि अब तक नहीं भी रही है तो अब से बना लीजिए। क्योंकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंतिम व्यक्ति के कल्याणार्थ सबकी प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धताएं भी बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए। उनके मुताबिक, आम तौर पर गरीबी से मुक्ति, भुखमरी से मुक्ति, बेहतर स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, सुलभ एवं स्वच्छ ऊर्जा, उचित रोजगार एवं आर्थिक विकास, उद्योग नवोन्मेष और बुनियादी ढांचा, असमानता उन्मूलन, अस्थाई शहर और समुदाय, स्थाई खपत और उत्पादन, जलवायु, जल में जीवन, भूमि पर जीवन, शांति न्याय और मजबूत संस्थान और लक्ष्यों के लिए भागीदारी जैसे बातों के हल तलाशना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन जब तक हम लोग सामूहिक सोच के स्तर पर सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने जैसा पहल खुद आगे बढ़कर नहीं करेंगे, तब तक तीसरी दुनिया के देशों के बेहतर भविष्य के लिए सवाल-जवाब तलाशते तलााशते थक जाएंगे।

यूं तो सम्मेलन में लगभग डेढ़ दर्जन दिग्गज हस्तियों ने अपने अपने विचारोत्तेजक मन्तव्य प्रकट किए, जिन पर शब्द सीमा के चलते विस्तारपूर्वक चर्चा करना यहां सम्भव नहीं है। लेकिन उनकी बातों के सार को मैंने स्पष्ट कर दिया है। दरअसल, वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय मामलों की सबसे बड़ी वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र की एक महासभा में दुनिया के सभी छोटे-बड़े देशों ने 15 साल के अंदर पूरी दुनिया से गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण और अस्वस्थता समेत लगभग डेढ़ दर्जन ऐसी समस्याओं को समूल रूप से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। जिसके मुताबिक वर्ष 2030 तक इन समस्याओं से पार पाने का लक्ष्य दुनिया के देशों ने अपने एजेंडे में रखा है। खासकर वह सभी देश जो इस संकल्प के भागीदार बने हैं, उनमें भारत भी एक महत्वपूर्ण देश के रूप में मौजूद है। दरअसल, यह सभी देश अपने-अपने स्तर पर सतत विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

हालांकि भारत की स्थिति इस मामले में दुनिया के कई देशों से काफी बेहतर है। याद दिला दें कि भारत ने जब विकास की योजनाओं को गति देने के लिए योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन किया गया, तब से ही सतत विकास की दिशा में किए जाने वाले कार्यक्रमों को भी गति मिली है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में विकास कार्यों को आम आदमी की पहुंच तक सुलभ कराने का जो बीड़ा उठाया है, उसमें हमारे नीति आयोग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल दिशा निर्देशों का ही परिणाम है कि नीति आयोग अपने मौजूदा उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के कुशल संचालन एवं विशेषज्ञता के चलते सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है।

-कमलेश पांडे

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