Bihar सरकार ने विभागों से तय समय में अनुदान उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा

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भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की नवीनतम रिपोर्ट में विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के 23,188 यूसी (99,178 करोड़ रुपये की राशि) जमा नहीं करने पर गंभीर चिंता जताई गई है।

बिहार सरकार ने विभिन्न विभागों की तरफ से वर्ष 2021 से लेकर 2022 तक कुल 99,178 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं एवं योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा नहीं किये जाने पर चिंता जताते हुए विभागों से अनुदान उपयोगिता प्रमाण पत्र निर्धारित समय में जमा करने को कहा है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की नवीनतम रिपोर्ट में विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के 23,188 यूसी (99,178 करोड़ रुपये की राशि) जमा नहीं करने पर गंभीर चिंता जताई गई है।

कैग की रिपोर्ट (वित्त लेखा-2021-22) शुक्रवार को राज्य विधानसभा में रखी गई थी। कैग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शनिवार को पीटीआई-से कहा कि सभी विभागों के प्रशासनिक प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा समय पर हों। उन्होंने कहा, मैंने सभी विभागों के प्रमुखों को निर्धारित समय के भीतर अनुदान उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कहा है। मुझे पता है कि पिछले कुछ महीनों में स्थिति में बहुत सुधार हुआ है, लेकिन उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करना एक गंभीर मामला है।

चौधरी ने कहा कि बिहार कोषागार संहिता (211) के नियम 271 के अनुसार, अनुदानग्राही को सहायता अनुदान के संबंध में उपयोगिता प्रमाण पत्र अनुदानग्राही द्वारा स्वीकृत प्राधिकारी को अनुदान प्राप्ति की तिथि से 18 महीने के भीतर या उसी विषय पर आगे अनुदान के लिए आवेदन करने से पहले पेश करना चाहिए। कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के 23,188 यूसी (99,178 करोड़ रुपये की राशि), जो प्रस्तुत करने के लिए देय (31 अगस्त, 2020 तक तैयार) हो गए थे, राज्य के निकायों और अधिकारियों द्वारा पेश नहीं किए गए थे।

रिपोर्ट कहती है कि इस बात का कोई आश्वासन नहीं था कि 99,178 करोड़ रुपये की राशि का वास्तव में उपयोग किया गया था, जिस उद्देश्य के लिए इसे विधानमंडल द्वारा स्वीकृत किया गया था। बडे पैमाने पर यूसी को जमा न करना धन की हेराफेरी और धोखाधड़ी के जोखिम से भरपूर है। बडे पैमाने पर यूसी जमा नहीं करनेवाले विभाग पंचायती राज (34,707.48 करोड़ रुपये), शिक्षा (25,867.47 करोड़ रुपये) और शहरी विकास विभाग (11,092.7 करोड़ रुपये) थे।

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