कोरोना वायरस से चौपट हो रही बजट होटल, गेस्ट हाउस इंडस्ट्री, दिवालिया होने के कगार पर

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कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी के करीब तीन हजार बजट होटल और गेस्ट हाउस ने अपने 75 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी और अब वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि उन्हें लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करना है। यह दावा उनके संगठन ने किया है।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी के करीब तीन हजार बजट होटल और गेस्ट हाउस ने अपने 75 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी और अब वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि उन्हें लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करना है। यह दावा उनके संगठन ने किया है। दिल्ली होटल और रेस्तरां मालिक संगठन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि वह खुद के मकान का किराया देने में अक्षम हैं। केंद्र ने देश भर में होटलों को अपने दरवाजे ग्राहकों के लिए आठ जून से खोलने की अनुमति दे दी थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उस महीने कोविड-19 के मामलों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऐसा नहीं किया। जुलाई के अंत में दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले बृहस्पतिवार को होटलों को ‘‘सामान्य कामकाज’’ शुरू करने की अनुमति दे दी।

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लेकिन उसके अगले दिन ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निर्णय पर रोक लगा दी और कहा कि स्थिति ‘‘नाजुक’’ बनी हुई है और खतरा अब भी बरकरार है। खंडेलवाल ने कहा कि चार लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए होटलों, गेस्ट हाउस और रेस्तरां पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रतिष्ठान 15 मार्च से बंद हैं। अधिकतर कर्मचारी अपने गांवों को लौट चुके हैं। कुछ लोग परिसरों की देखभाल करने के लिए रूके हुए हैं। उनको भी पूरा वेतन नहीं मिल रहा है।’’ करोल बाग में लीज पर होटल ग्रैंड इम्पीरियल चलाने वाले खंडेलवाल ने दावा किया कि वह पिछले चार महीने से इसका किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संपत्ति का किराया सात लाख रुपये देता हूं। लॉकडाउन से पहले होटल में 20 कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब केवल तीन बचे हैं। होटल पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करीब 50 परिवार निर्भर हैं।’’ संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी इतनी कमाई भी नहीं हो रही है कि वह घर का किराया और कार के ऋण की किस्त चुका सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बजट होटल का प्रतिनिधित्व करता हूं और मेरी स्थिति देखिए। अन्य की स्थिति और भी खराब है।’’ खंडेलवाल ने दावा किया कि होटल और गेस्ट हाउस मालिकों को पानी और बिजली के भारी भरकम बिल का भुगतान करने के लिए ‘‘दबाव’’ बनाया जा रहा है, जबकि पिछले चार महीने में ‘‘कोई व्यवसाय नहीं हुआ।’’

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उन्होंने मांग की, ‘‘हमारी सरकार से मांग है कि बिल में कुछ छूट दी जाए। कई प्रतिष्ठान दिवालिया होने की कगार पर हैं। अगर वे कोई राहत नहीं दे सकते तो कम से कम हमारी अग्निशमन और पुलिस लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाए और हमें काम करने दिया जाए।’’ करोल बाग गेस्ट हाउस कल्याण संगठन के अध्यक्ष जगप्रीत अरोड़ा ने कहा कि अधिकतर प्रतिष्ठानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या 75 फीसदी से भी कम कर दी है। करोल बाग में एम्प्रर पाल्म्स चलाने वाले अरोड़ा ने पिछले चार महीने में अपने कर्मचारियों की संख्या 30 से घटाकर महज पांच कर दी है। उन्होंने उपराज्यपाल से अपील की कि जमीनी हकीकत को समझते हुए गेस्ट हाउस संचालन को अनुमति दें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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