कुप्रबंधन के खिलाफ सिर्फ टाटा और शेखसरिया कर सकते हैं अपील: NCLT
![Cyrus Mistry wins waiver at Appellate Tribunal to legally challenge Tata Sons Cyrus Mistry wins waiver at Appellate Tribunal to legally challenge Tata Sons](https://images.prabhasakshi.com/2017/9/_650x_2017092311284455.jpg)
एनसीएलएटी ने मिस्त्री को छूट देते हुए कहा कि टाटा संस के 51 हिस्सेदारों में सिर्फ रतन टाटा और नरोत्तम शेखसरिया ही छोटे शेयरधारकों के तौर पर उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कराने के पात्र हैं।
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय प्राधिकरण (एनसीएलएटी) ने साइरस मिस्त्री को न्यूनतम हिस्सेदारी नियम से छूट देते हुए कहा कि टाटा संस के 51 हिस्सेदारों में सिर्फ रतन टाटा और नरोत्तम शेखसरिया ही छोटे शेयरधारकों के तौर पर उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कराने के पात्र हैं। एनसीएलएटी ने मिस्त्री के मामले को अपवाद और विशिष्ट परिस्थिति करार दिया। एनसीएलएटी ने गुरुवार को मिस्त्री को न्यूनतम हिस्सेदारी नियम से छूट देते हुए उन्हें टाटा संस के खिलाफ छोटे शेयरधारकों के कथित उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने की मंजूरी दे दी थी।
प्राधिकरण ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हमने पाया है कि 31.43 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले रतन नवल टाटा और 17.01 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले नरोत्तम एस शेखसरिया के अलावा किसी भी अन्य 49 हिस्सेदारों के पास धारा 241 के तहत आवेदन करने की योग्यता नहीं है।’’ मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस के 18.4 प्रतिशत इक्विटी शेयर हैं। हालांकि तरजीही शेयरों को हटाने के बाद उनकी हिस्सेदारी महज 2.82 प्रतिशत रह जाती है। इस तरह से वह उत्पीड़न या कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के अयोग्य हो जाते हैं।
प्राधिकरण ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि यदि दो या अधिक छोटे शेयरधारकों आपस में मिलते हैं और उनकी संयुक्त हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो वह मामला दायर करने योग्य हो जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं होने पर वह मामला दायर करने के पात्र नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 241 किसी छोटे शेयरधारक को कंपनी में कुप्रबंधन या उत्पीड़न के खिलाफ एनसीएलटी में जाने का अधिकार देती है। वहीं धारा 244 में यह प्रावधान है कि इस तरह का अधिकार सिर्फ उन्हीं हिस्सेदारों को प्राप्त है जिनके पास कंपनी की दस प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।
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