खाद्य oil-oilseed कीमतों में गिरावट का रुख

दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को कारोबार में गिरावट का रुख रहा और लगभग सभी तेल-तिलहनों के दाम हानि के साथ बंद हुए।शिकागो एक्सचेंज में शुक्रवार रात को 2.5 प्रतिशत की गिरावट आने के बाद घरेलू बाजार में नरमी आई। बाजा सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का जिस कदर आयात हुआ है और इनके भाव जितने सस्ते हैं उससे सूरजमुखी की हो रही बिजाई पर प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है। आम तौर पर सूरजमुखी तेल का भाव तो सोयाबीन से अधिक ही रहता आया है।
मगर इस समय नौबत यह है कि सूरजमुखी तेल का भाव सोयाबीन तेल से भी चार रुपये लीटर नीचे चल रहा है। सूरजमुखी बीज का दाम तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी 20-25 प्रतिशत नीचे है। उन्होंने कहा कि इससे देश के तिलहन उत्पादन किसानों का हतोत्साहित होना लाजिमी है। जब सरकार खाद्यतेलों के महंगा होने पर आयात शुल्क घटा सकती है, ऐसे में जब खाद्यतेलों के बंदरगाहों पर दाम लगभग आधे से भी अधिक टूट चुके हों, तो सरकार को आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में भी सोचना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का भाव बढ़ना शुरु होने से पहले सूरजमुखी का आयात करने का दाम 1,400 डॉलर प्रति टन था और सोयाबीन तेल के आयात करने में दाम 1,350 डॉलर प्रति टन था। उस समय इन दोनों ही तेलों पर 38.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ था और आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं थी। उसके बाद कीमतें बढ़ना शुरु हुई तो सूरजमुखी तेल का दाम बढ़कर 2,450-2,500 डॉलर प्रति टन हो गया और सोयाबीन तेल के आयात का दाम 2,150-2,200 डॉलर प्रति टन तक ऊंचा हो गया।
इसके बाद सरकार ने अलग अलग चरणों में इन तेलों पर आयात शुल्क कम करना शुरु किया और अंत में कोटा व्यवस्था के तहत इन दोनों ही खाद्यतेलों के शुल्कमुक्त आयात की छूट दे दी। सूत्रों ने कहा कि पहले खुदरा बाजार में सूरजमुखी का भाव 225-235 रुपये लीटर तक था और सोयाबीन तेल का भाव 185-195 रुपये लीटर था। अब सूरजमुखी तेल का भाव 170-180 रुपये लीटर है जबकि सोयाबीन तेल का भाव 160-170 रुपये लीटर है।
अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के हिसाब से सूरजमुखी तेल 125-130 रुपये लीटर बिकना चाहिये पर यह तेल खुदरा बाजार में लगभग 170-180 रुपये लीटर बिक रहा है। इसी तरह सोयाबीन तेल एमआरपी के हिसाब से 125-135 रुपये लीटर बिकना चाहिये पर यह 160-170 रुपये लीटर के भाव से बिक रहा है। उन्होंने कहा कि यानी जिस मात्रा थोक आयात भाव में कमी आई है, उपभोक्ताओं को उस मात्रा में लाभ पहुच नहीं पा रहा है।
यह सब खुदरा कंपनियों और छोटी इकाइयों द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) काफी अधिक निर्धारित किये जाने की वजह से है। सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों पर अधिकतम सीमा तक आयात शुल्क लगाने से देशी तेल तिलहन, बाजार में खप जायेंगे और हमें पशुआहार और मुर्गीदाने के लिए खल और डी-आयल्ड केक (डीओसी) पर्याप्त मात्रा में मिल जायेगा जिसकी उपलब्धता बढ़ने से दूध और अंडों के दाम कम होंगे।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,980-6,030 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,425-6,485 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,400 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,990-2,020 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,950-2,075 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,300 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,250 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,395-5,475 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,135-5,155 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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