लिपिस्टिक की बिक्री से पता चलता है अर्थव्यवस्था का हाल, क्या आप इससे वाकिफ हैं ?

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सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को देख पचास साल पुराना एलन ग्रीनस्पैन का बयान याद आता है। उन्होंने तब कहा था कि अगर लोगों ने अंडरवियर खरीदना कम कर दिया है तो आगे चलकर अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो सकती है।

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 की पहली तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत रह गई। जिसके बाद तमाम विपक्षी पार्टियों ने सरकार को निशाने पर लिया और यहा तक नसीहत दे डाली कि राजनीति छोड़ अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि आर्थिक हालात ‘बेहद चिंताजनक’ हैं और यह नरमी मोदी सरकार के तमाम कुप्रबंधनों का परिणाम है। लेकिन भाजपा ने सिंह के आरोपों को खारिज कर दिया। 

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मनमोहन सिंह की टिप्पणी के सवाल पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने जवाब दिया कि यह मोदी सरकार की उपलब्धि ही है कि मनमोहन सिंह बोलने लगे हैं। गिरते आंकड़ों को देख यह तो कहा जा सकता है कि भारत की आर्थिक स्थिति पहले के मुकाबले कमजोर हुई हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था कमजोर कैसे हो सकती है इसके कारणों को जानते हैं।

सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को देख पचास साल पुराना एलन ग्रीनस्पैन का बयान याद आता है। उन्होंने तब कहा था कि अगर लोगों ने अंडरवियर खरीदना कम कर दिया है तो आगे चलकर अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो सकती है। एलन ग्रीनस्पैन अमेरिकी फेड रिजर्व के फॉर्मर गर्वनर हैं। उन्होंने अंडरवियर की बिक्री को इकोनॉमिक इंडिकेटर माना था। ठीक उसी तरह जैसे अपने मुल्क हिन्दुस्तान में माना जाता है कि अगर मारुति की ब्रिकी में इजाफा हुआ है तो हमारी इकोनॉमिक कंडीशन बेहतर होगी और अगर गिरावट आई है तो आर्थिक हालात पहले की तुलना में सुस्त हो सकते हैं।

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लिपिस्टिक से पता चलता है अर्थव्यवस्था का हाल ?

लिपस्टिक को भी आर्थिक सूचक (Economic Indicator) के तौर पर देखा जाता है। एक सिद्धांत ऐसा भी है कि जब महिलाएं आर्थिक हालात को लेकर आश्वस्त नहीं होतीं तो उनका ध्यान कपड़ों और इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों से कम महंगी चीजों की तरफ शिफ्ट हो जाता है। साफ शब्दों में कहें तो महिलाएं गहने, सिंगार के महंगे सामान को छोड़कर लिपस्टिक की तरफ ध्यान देती हैं। इस बात का पता उस वक्त चला था जब अमेरिका में 9/11 का आतंकी हमला हुआ था। तब एसटी लॉडर के चेयरमैन ने हमले के बाद के कुछ महीनों में देखा कि कंपनी की लिपस्टिक की ब्रिकी पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। 

उस वक्त इस पर कई तरह के सवाल भी खड़े हुए तो बाद में इस पर रिसर्च भी हुआ था। जिसमें पाया गया था कि अगर इकोनॉमी की हालात बिगड़ी तो लिपस्टिक की ब्रिकी दोगुनी हो गई। 

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नाई की दुकान में भी मिलते हैं संकेत

अगर नाई की दुकान में पहले कोई व्यक्ति सवा महीने में एक बार बाल कटाता था और वह बाद में दो महीने या उससे अधिक समय बाद उसके दुकान पहुंचता है तो इससे अर्थव्यवस्था के हालातों का पता चलता है। आप सोच रहें होंगे भला ये कैसे हो सकता है? सेल्फमेड बिलियनेयर जॉन पॉल देओरिया की मानें तो जब इकोनॉमी की गाड़ी सही चल रही होती है तो लोग हर सवा महीने पर एक बार बाल कटाने नाई के यहां जरूर जाते हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था की गाड़ी बिगड़ने पर या कहें पटरी से उतरने पर नाई की दुकान में जाने वाला गैप बढ़कर दो महीने का हो जाता है।

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