आयात की भरमार होने से edible oils के दाम टूटे

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जानकार सूत्रों ने कहा कि बाजार सस्ते आयातित तेलों की भरमार से इस कदर टूट चुका है कि तिलहन किसान भारी तकलीफ में हैं। राजधानी के नजफगढ़ मंडी में सरसों की आवक में भारी कमी देखी गई जहां सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे 4,200-4,400 रुपये क्विंटल के भाव पर बिका।

देश में सस्ते आयातित खाद्यतेलों की भरमार के बीच स्थानीय तिलहन किसानों की बेहाली बढ़ने के साथ सभी खाद्य तेल तिलहन की कीमतों पर दबाव रहा तथा बृहस्पतिवार को स्थानीय मंडियों में लगभग सभी तेल-तिलहनों में गिरावट देखी गई। जानकार सूत्रों ने कहा कि बाजार सस्ते आयातित तेलों की भरमार से इस कदर टूट चुका है कि तिलहन किसान भारी तकलीफ में हैं। राजधानी के नजफगढ़ मंडी में सरसों की आवक में भारी कमी देखी गई जहां सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे 4,200-4,400 रुपये क्विंटल के भाव पर बिका।

इस भाव के बावजूद सरसों के लिवाल नहीं हैं क्योंकि सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे ‘सॉफ्ट आयल’ (नरम खाद्यतेल) जरुरत से भी कहीं ज्यादा सस्ते हैं। साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के पूर्व प्रमुख अतुल चतुर्वेदी ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा है कि खाद्य तेलों के खुदरा दाम लागत से 12-17 प्रतिशत तक ऊंचे होने चाहिए। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में पक्की घानी सरसों तेल की अधिभार सहित उत्पादन लागत 88 रुपये लीटर और राजस्थान में अधिभार सहित 95 रुपये प्रति लीटर है। एसईए के पूर्व अध्यक्ष के हिसाब से अगर खुदरा दाम 20 प्रतिशत अधिक मानकर चलें तो दिल्ली में पक्की घानी सरसों तेल का अधिकतम खुदरा दाम लगभग 105 रुपये लीटर और राजस्थान में लगभग 115 रुपये लीटर होना चाहिये।

लेकिन बाजार की जानकारी रखने वालों को मालूम है कि सरसों तेल 140 रुपये लीटर या इससे भी अधिक दाम पर बिक रहा है। सूत्रों ने कहा कि तेल कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी उचित तरीके से निभाना चाहिये। संभवत: सही सूचनाओं के अभाव के कारण आज तक देश तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया। जबकि खाद्यान्नों और दूध आदि के उत्पादन में हम पहले आत्मनिर्भर हो गये। मलेशिया एक्सचेंज में 2.5 प्रतिशत की गिरावट थी जबकि शिकागो एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट है।

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 4,850-4,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,760-6,820 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,660 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,525-2,790 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,530-1,600 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,530-1,640 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,160 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,185-5,235 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,935-5,015 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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