विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच Edible oil-तिलहन कीमतें टूटीं

Edible oil
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विदेशों में गिरावट के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सोयाबीन तिलहन को छोड़कर सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई।

विदेशों में गिरावट के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सोयाबीन तिलहन को छोड़कर सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई। किसानों की ओर से कम दाम पर बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में फिलहाल गिरावट का रुख है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज आज बंद है।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन किसानों को अपनी तिलहन उपज के लिए पिछले साल मई में 6,800-7,000 रुपये क्विंटल के भाव मिले थे लेकिन इस बार मंडियों में इसका दाम 5,100 रुपये का लगाया जा रहा है जिसकी वजह से किसान बिकवाली से बच रहे हैं और केवल जरूरतमंद किसान ही थोड़ी बहुत मात्रा में अपनी उपज बेच रहे हैं। वैसे पिछले साल से कम होने के बावजूद मौजूदा भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक है। इस वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्ववत रहे। लेकिन सोयाबीन तेलों के दाम अन्य खाद्य तेलों की गिरावट के अनुरूप टूटे हुए हैं।

सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को केवल थोक दाम से मतलब है लेकिन खुदरा में खाद्य तेल ऊंचे भाव से बिक रहा है इस बात की कौन सुध लेने वाला है? तेल पेराई करने वाली कंपनियां काफी घाटे में हैं और उनकी दुर्दशा हो रही है। लगभग 75 प्रतिशत मिलों ने काम करना बंद कर दिया है या फिर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि यही हाल रहा तो देश का तेल-तिलहन कारोबार ठप हो जायेगा और देश को खाद्य तेलों के लिए केवल आयात पर निर्भर होना पड़ जायेगा।

बेशक खाद्य तेलों के थोक दाम जमीन पर लोट रहे हों, लेकिन खुदरा बाजार में सूरजमुखी तेल 196 रुपये लीटर, सोयाबीन तेल 180 रुपये लीटर बिक रहा है। सूत्रों ने बताया कि वायदा बाजार में बिनौला खल के भाव में इतनी वृद्धि देखने को मिली कि इसके लिए ऊपरी ‘सर्किट’ लगाना पड़ा। तेल मिलें नहीं चलने के कारण पिछले साल सरसों खल का जो दाम 2,200 रुपये क्विंटल था, इस बार बढ़कर 2,650-2,700 रुपये क्विंटल हो गया है। उन्होंने कहा कि तेल खली के महंगा होने के कारण पिछले कुछ महीनों में दूध के दाम कई बार बढ़ाये गये हैं पर अधिक खपत वाले दूध के दाम बढ़ने से क्या मुद्रास्फीति नहीं बढ़ती?

दूसरी ओर खाद्य तेल के दाम में मामूली वृद्धि से भी परेशानी बढ़ जाती है, जबकि प्रति व्यक्ति दूध खपत मात्रा की तुलना में खाद्य तेल की खपत बेहद मामूली है। खाद्य तेल के मुकाबले दूध एवं दुग्ध उत्पादों की खपत कहीं छह-सात गुना ज्यादा है। सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 4,830-4,930 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,350-6,410 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,980 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,395-2,660 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,580-1,660 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,580-1,690 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,640 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,440 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,980 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,340 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,480 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,53 0 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,080-5,155 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,855-4,935 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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