विदेशों में नरमी से Edible oil तिलहनों कीमतों में गिरावट

विदेशी बाजारों में खाद्यतेलों का दाम में भारी नरमी आने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी खाद्यतेल तिलहनों में चौतरफा गिरावट रही। इस गिरावट के कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला तेल जैसे देशी तेल तिलहन के साथ साथ कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन जैसे आयातित तेल नुकसान के साथ बंद हुए। मलेशिया एक्सचेंज और शिकागो एक्सचेंज में गिरावट रहने के कारण यहां का तेल कारोबार प्रभावित हुआ।
बाजार सूत्रों ने कहा कि लगभग तीन महीने पहले सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का दाम 1,450 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर सोयाबीन का 1,130 डॉलर और सूरजमुखी तेल का 1,140 डॉलर प्रति टन रह गया है। देश में 31 मार्च तक शुल्क मुक्त आयात कोटा के तहत सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का लगभग 10 लाख टन का आयात होना बाकी है जिसमें सूरजमुखी का लगभग सात लाख टन और सोयाबीन का लगभग तीन लाख टन का आयात होने की संभावना है। तीन महीने में इन तेलों के दाम करीब 25 रुपये किलो घटे हैं।
इसके उलट सीपीओ का दाम लगभग तीन महीने पहले लगभग 1,000 डॉलर प्रति टन था जो अब बढ़कर 1,015 डॉलर हो गया है। सूरजमुखी तेल का बंदरगाह पर जो आयात हो रहा उसका भाव 86 रुपये लीटर पड़ता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से स्थानीय पेराई मिलों को देशी सूरजमुखी की पेराई करने में करीब 50 रुपये लीटर का नुकसान है यानी एमएसपी के हिसाब से स्थानीय सूरजमुखी तेल, पेराई के बाद, आयातित सूरजमुखी तेल से लगभग 50 रुपये लीटर महंगा यानी 135 रुपये लीटर बैठता है।
दूसरी ओर खुदरा बाजार में आयातित सूरजमुखी तेल एमएसपी से 20-30 रुपये लीटर महंगा यानी 155-165 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है। सूत्रों ने कहा कि साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) का मानना है कि सरसों की बाजार में खपत सुनिश्चित करने के लिए सीपीओ पर आयात शुल्क को मौजूदा 5.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.50 प्रतिशत कर देना चाहिये लेकिन एसईए आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के बारे में कुछ नहीं बोल रहा है जो दो नरम तेल (सॉफ्ट आयल) हमारे देशी तेल तिलहनों पर सीधा असर डालते हैं और जिनके भाव बेहद टूटे होने के कारण सरसों के अलावा बाकी देशी तेल तिलहन का बाजार में खपना दूभर हो गया है।
पाम एवं पामोलीन तेल ज्यादातर कम आयवर्ग के लोग या छोटे रेस्तरां, होटल और खोमचे वाले उपयोग में लाते हैं और इनका देशी तेल तिलहनों पर कोई खास असर नहीं होता। सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम पिछले तीन महीनों में लगभग 300 डॉलर घटे हैं जबकि सीपीओ का दाम पिछले तीन महीनों में लगभग 10-15 डॉलर बढ़ा है। सूत्रों ने कहा कि बाजार में सरसों की आवक बढ़ रही है लेकिन उस हिसाब से लिवाल कम हैं। सहकारी संस्था, नाफेड की सरसों की खरीद करने से कोई फर्क नहीं पड़ने की संभावना है।
देशी तेल तिलहनों को खपाने के लिए बाजार का वातावरण बनाने की जरुरत है और इस दिशा में सबसे पहले सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क को अधिक से अधिक सीमा तक बढ़ाना होगा। सूत्रों ने कहा कि बिनौला जैसे देशी तेल के दाम टूटने से वायदा कारोबार में बिनौला तेल खली के भाव में लगभग एक प्रतिशत की तेजी आई है। बिनौला से हमें सबसे अधिक खल की प्राप्ति होती है और जिसके सस्ता होने से दूध के दाम भी सस्ता हो सकते हैं।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,200-5,250 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,765-6,825 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,580 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 10,850 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,735-1,765 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,695-1,825 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,550 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,160-5,310 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,920-4,970 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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