Foreign बाजारों के टूटने से खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

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शेष तेल-तिलहन कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुईं। मलेशिया एक्सचेंज में 3.15 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल नीचे चल रहा है। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में आई गिरावट की वजह से देश में तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई है।

विदेशों में खाद्य तेल कीमतों में गिरावट के बाद दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ सहित लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों के भाव हानि के साथ बंद हुए। शेष तेल-तिलहन कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुईं। मलेशिया एक्सचेंज में 3.15 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल नीचे चल रहा है। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में आई गिरावट की वजह से देश में तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई है।

सस्ते आयातित खाद्य तेलों का बंदरगाह पर जमावड़ा बढ़ने तथा थोक बिक्री बाजार में दाम टूटने की वजह से सरसों की आने वाली फसल के साथ-साथ मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला जैसे हल्के नरम (सॉफ्ट) तेलों का खपना दूभर होता जा रहा है। ऐसे में सूरजमुखी जैसे खाद्य तेल पर भी शुल्कमुक्त आयात की छूट को समाप्त करने के बारे में सोचा जाना चाहिये।

सूरजमुखी और सोयाबीन के दाम हमारे तेल-तिलहन पर सबसे अधिक असर डालते हैं और इन तेलों पर आयात शुल्क लगाया जाये तथा तेल उत्पादक कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के बारे में सरकारी पोर्टल पर नियमित आधार पर जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाये तो सरकार को मौजूदा स्थिति पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।

सूत्रों ने कहा कि एक प्रमुख तेल संगठन ने सरकार को जानकारी दी है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में जो 8-10 साल पहले सूरजमुखी की काफी खेती होती थी, वह अब काफी कम हो गई। इसका कारण इन राज्यों में प्रसंस्करण इकाइयों की कमी का होना तथा दक्षिणी राज्यों को निर्यात के दौरान लंबे समय अंतराल की वजह से तेल में 7-8 प्रतिशत ‘एफएफए एसिड’ का बढ़ जाना था जिसकी वजह से तेल के दाम कम हो जाते थे। इन दिक्कतों के कारण किसानों ने सूरजमुखी खेती को छोड़ दिया।

सूत्रों ने दावा किया कि यह सोच बिल्कुल निराधार है क्योंकि दक्षिणी राज्यों में पहले प्रसंस्करण किये तेल के साथ-साथ सूरजमुखी बीज भी जाता था और सरजमुखी दाना लगभग साल भर भी खराब नहीं होता। इसके अलावा खाद्य तेलों में अगर ऐसा कोई एसिड पनपता है तो यह सबसे पहले कच्चे पामतेल (सीपीओ) में होना चाहिये जिसके आयात में लगभग 15-20 दिन लगते हैं। सूत्रों ने कहा कि किसानों ने इसकी खेती इसलिए छोड़ी कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम दाम मिलते थे और आज भी किसानों को सूरजमुखी के एमएसपी से कम दाम मिल रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि इस तेल संगठन को पहले सरकार को यह बताना चाहिये कि सूरजमुखी के दाम लगभग 100 रुपये लीटर रहने से देशी तेल खप नहीं रहे और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अधिक रखे जाने की वजह से खुदरा में उपभोक्ताओं को सूरजमुखी तेल 160-180 रुपये लीटर मिल पा रहा है। उन्हें यह सलाह भी देनी चाहिये कि देशी सरसों जैसे तिलहनों को बाजार में खपाने के लिए आयातित तेल पर आयात शुल्क लगाया जाये।

सूत्रों ने कहा कि थोक में सूरजमुखी तेल का भाव सोयाबीन से भी नीचे हो गया है लेकिन कोई खुदरा बाजार में खरीदने जाये तो पायेंगे कि सोयाबीन से इस तेल का भाव 30-40 रुपये लीटर महंगा है। इस विरोधाभास से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 6,290-6,340 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,470-6,530 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,450 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,430-2,695 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,070-2,100 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,030-2,155 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,700 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,480-5,560 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,220-5,240 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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