वित्तीय संस्थान अधिक जन केंद्रित बने: सीतारमण

Niramala Sitharaman

वित्त मंत्री ने कहा कि कई राज्यों में काफी चालू और बचत खाता (कासा) कोष है। उस कोष का प्रभावी तरीके से क्षेत्रों में उपयोग नहीं हो रहा क्योंकि वहां कोई बड़ी कंपनियां नहीं हैं।

नयी दिल्ली| वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को अर्थव्यवस्था को वृद्धि के उच्चस्तर पर ले जाने के लिये लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) जैसे वित्तीय संस्थानों से अगले 25 साल में अधिक-से-अधिक लोगों के अनुकूल यानी जन केंद्रित बनने को कहा। सरकार ने देश की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ के अगले 25 साल को ‘अमृत काल’ घोषित किया है।

सीतारमण ने तीसरी ‘नेशनल माइक्रोफाइनेंस कांग्रेस’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘...अगले 25 साल के लिये हमें (वित्तीय संस्थानों को) बहुत अधिक जन-केंद्रित होना होगा। यह देखने की कोशिश करें कि वे क्या चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे पिछड़े क्षेत्र के लोग आकर्षित होंगे...मुझे लगता है कि इससे हम उन क्षमताओं को एक दिशा दे पाएंगे, जो निष्क्रिय पड़े हैं।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि कई राज्यों में काफी चालू और बचत खाता (कासा) कोष है। उस कोष का प्रभावी तरीके से क्षेत्रों में उपयोग नहीं हो रहा क्योंकि वहां कोई बड़ी कंपनियां नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण चालू और बचत खाते में जमा पैसा उन राज्यों से औद्योगिक क्षेत्रों में जाता है, जहां बड़े कारोबारी हैं और कर्ज की मांग है। सीतारमण ने कहा, ‘‘अब यह धीरे-धीरे ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है जहां हमारी बचत का उपयोग हमारे कारोबार, उद्यमिता विकास के लिये नहीं किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि यह लघु उद्योग विकास बैंक जैसे संस्थानों का काम होना चाहिए कि वे कर्ज को बढ़ावा दें और पिछड़े क्षेत्रों में उद्यम को लेकर परिवेश के विकास में मदद करें। वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड के बाद अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है और नया आकार ले रही है तथा लोग अब उद्यमिता का विकल्प चुन रहे हैं।

उन्होंने ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका अच्छा प्रभाव है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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