खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं के दाम असामान्य रूप से बढ़े तो सरकार कदम उठाएगी

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मई में, सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। घरेलू उत्पादन में गिरावट और निजी पक्षों द्वारा आक्रामक खरीद के कारण विपणन वर्ष 2022-23 में सरकार की गेहूं खरीद 434.44 लाख टन से गिरकर 187.92 लाख टन रह गई।

सरकार ने बुधवार को कहा कि गेहूं की कीमतों पर उसकी नजर है और यदि खुदरा बाजार में इसके दाम में असामान्य उछाल देखने को मिलता है, तो उसपर अंकुश के लिए कदम उठाए जाएंगे। निर्यात प्रतिबंध के बावजूद गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी पर चिंता के बीच केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि गेहूं और चावल के स्टॉक की स्थिति सहज है और सरकार की बफर आवश्यकताओं से काफी ऊपर है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चावल की कीमतें स्थिर हैं। मई में गेहूं पर प्रतिबंध लगाने के बाद खुदरा में गेहूं की कीमतों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और अगर हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को ध्यान में रखते हैं, तो मूल्य वृद्धि 4-5 प्रतिशत है।’’

मई में, सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। घरेलू उत्पादन में गिरावट और निजी पक्षों द्वारा आक्रामक खरीद के कारण विपणन वर्ष 2022-23 में सरकार की गेहूं खरीद 434.44 लाख टन से गिरकर 187.92 लाख टन रह गई। यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रालय गेहूं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक भंडारण सीमा और खुले बाजार में बिक्री योजना जैसे किसी और कदम पर विचार कर रहा है, चोपड़ा ने कहा, अभी जो स्थिति है, उसके अलावा किसी अन्य उपाय की जरूरत नहीं है।कीमतों में यदि असामान्य वृद्धि हुई, तो जाहिर है, हम कदम उठाएंगे।’’

सितंबर में, कुछ पूर्वी राज्यों में बेमौसम बारिश और कम मानसून के मद्देनजर चावल के उत्पादन में अनुमानित गिरावट के कारण सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। सचिव ने बताया कि एक अंतर-मंत्रालयी समिति साप्ताहिक आधार पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी कर रही है। खाद्य तेल पर चोपड़ा ने कहा कि खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का रुख है और इसलिए घरेलू खुदरा दरों में और कमी आने की संभावना है। यह पूछे जाने पर कि क्या मुफ्त राशन योजना पीएमजीकेएवाई को दिसंबर से आगे बढ़ाया जाएगा, सचिव ने कहा कि सरकार उचित समय पर निर्णय लेगी।

उन्होंने कहा कि यदि योजना को बढ़ाया जाता है, तो मांग को पूरा करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के प्रबंध निदेशक, अशोक केके मीणा ने कहा कि सरकार नियमित रूप से आवश्यक वस्तुओं के मूल्य परिदृश्य की निगरानी कर रही है और आवश्यकतानुसार प्रभावी उपाय कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने की तुलना में गेहूं के खुदरा और थोक मूल्य और चावल के थोक मूल्य में मामूली वृद्धि हुई है। चावल के खुदरा मूल्य में नगण्य वृद्धि हुई है और कीमतें नियंत्रण में हैं।’’

एफसीआई ने विपणन वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में 21 नवंबर तक 277.37 लाख टन धान (185.93 लाख टन चावल) की खरीद की है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह खरीद 263.42 लाख टन धान की हुई थी। खरीफ धान की फसल के लिए खरीद का लक्ष्य 775.73 लाख टन रखा गया है। उन्होंने कहा कि फरवरी-मार्च 2023 में रबी धान खरीदी का अनुमान लगाया जाएगा। मीणा ने कहा कि 15 नवंबर तक केंद्रीय पूल में एफसीआई के पास 201 लाख टन गेहूं और 140 लाख टन चावल है। एक अप्रैल, 2023 को गेहूं की अनुमानित स्टॉक स्थिति 75 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले 113 लाख टन है। चावल के मामले में, अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में 136 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले स्टॉक 237 लाख टन होने का अनुमान है। एक देश एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना पर खाद्य सचिव ने कहा कि इसे सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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