20% TCS on Credit Card: फॉरेन ट्रिप होने वाली है महंगी, जानें क्या है क्रेडिट कार्ड पर 20% TCS का नियम? 1 जुलाई से लागू होगा नियम

20 percent TCS on credit card
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 25 2023 1:24PM

टीसीएस का मतलब टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स है। ये एक प्रकार का टैक्स होता है, जो सरकार की कुछ वस्तुओं पर लगाया जाता है। ये वस्तु खरीदने वाले की ओर से विक्रेता को चुकाया जाता है और विक्रेता को सरकार के पास जमा करना होता है।

हाल के दिनों में आपने टीसीएस की काफी चर्चा सुनी होगी। सरकार ने 16 मई को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक अधिसूचना जारी करते हुए  विदेशी मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड खर्च पर 20% टीसीएस लगाने की जानकारी दी थी। आईसीसी खर्च को आरबीआई की उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत लाया गया था। ऐसे में आज इस रिपोर्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे की टीसीएस होता क्या है? इसे बढ़ाकर 20% क्यों कर दिया गया, कब से ये लागू हो रहा है और सबसे अहम इससे टैक्स बेनिफट कैसे प्राप्त कर सकते हैं? 

सबसे पहले बेसिक से शुरू करते हैं यानी ये टीसीएस है क्या बला?

टीसीएस का मतलब टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स है। ये एक प्रकार का टैक्स होता है, जो सरकार की कुछ वस्तुओं पर लगाया जाता है। ये वस्तु खरीदने वाले की ओर से विक्रेता को चुकाया जाता है और विक्रेता को सरकार के पास  जमा करना होता है। वस्तु खरीदने के साथ ही टैक्स काट लिया जाता है इसलिए इसे टैक्स कलेक्टेड एट द सोर्स करते हैं। 

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विदेशी प्रेषण लेनदेन में टीसीएस क्या है?

सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश के अनुसार विदेश में क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले खर्च पर 20 प्रतिशत टीसीएस लगेगा। यह टैक्स आपसे तब वसूला जा सकता है जब आप विदेश में पैसा भेजते हैं। पैसे भेजने का मतलब यह नहीं है कि इसे किसी व्यक्ति को भेज दिया जाए। इसका अर्थ विदेश यात्रा, संपत्ति खरीदना (खरीदारी शामिल) और विदेश में निवेश करना भी हो सकता है। एलआरएस या उदारीकृत प्रेषण योजना आपको आसानी से अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने में मदद करने के लिए है। वित्त बजट 2023-24 से पहले एलआरएस के तहत, 7 लाख से अधिक के प्रेषण के लिए टीसीएस 5% था।

फेमा के तहत नियम हुए संशोधित

विदेश मंत्रालय की तरफ  से विदेशी मुद्रा प्रबंधन संशोधन नियम 2023 नोटिफाई करते हुए कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेश में किए गए खर्च को भी एलआरएस में शामिल किया जाएगा। बता दें कि एलआरएस के तहत एक व्यक्ति रिजर्व बैंक की अनुमति के बगैर भी एक वित्त वर्ष में अधिकतम 2.5 लाख डॉलर की राशि विदेश में भेज सकता है। 

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बजट 2023 के बाद क्या बदलाव हुआ

ये टीसीएस अब शिक्षा या चिकित्सा उपचार से संबंधित विषयों को छोड़कर सभी प्रेषणों के लिए 5% से 20% तक बढ़ा दिया गया है। नई टीसीएस 1 जुलाई 2023 से लागू होगी। ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि क्या है मेडिकल और एजुकेशन प्रेषण टीसीएस के दायरे से बाहर हैं? जवाब है- नहीं। 7 लाख से अधिक की राशि के लिए अभी भी 5% कर लगाया जाएगा।

विदेशी प्रेषण पर TCS को बढ़ाकर 20% क्यों कर दिया गया है?

इसके कई कारण हो सकते हैं। जबकि इनमें से अधिकांश राजस्व बढ़ाने से संबंधित हैं जो सरकार कर संग्रह के माध्यम से कर सकती है। भारत सरकार को उम्मीद है कि हम अपना पैसा विदेश यात्रा से ज्यादा भारत के भीतर घूमने में खर्च करेंगे। बाहरी विदेशी प्रेषण 2022 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर था। खासकर ऐसे समय में जब रुपया अपने सबसे कमजोर स्तर पर था। यह सुनिश्चित करने के लिए भी हो सकता है कि विदेशों में पैसा खर्च करने वाले अपने देश में ही रिटर्न दाखिल करें। 

1 जुलाई से नया 20% टीसीएस हमें कैसे प्रभावित कर सकता है?

आइए इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं। मान लेते हैं कि आपको अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने के उद्देश्य से 20 लाख अमेरिकी डॉलर में निवेश करने की आवश्यकता है। इस मामले में टीसीएस 4,00,000 बनता है। वहीं यदि समान राशि शिक्षा या चिकित्सा उपचार के लिए प्रेषित की जा रही है, तो 7 लाख से अधिक की कुल राशि के लिए 5% का टीसीएस लागू होगा। इसका मतलब है कि आपको 13 लाख (20 लाख - 7 लाख) पर 5% का भुगतान करना होगा, जो कि 65,000 बनता है। 

इससे टैक्स बेनिफट कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

आप बैंकों द्वारा टीसीएस के रूप में काटे गए पैसों को समायोजित करके अपनी पूरी टैक्स लॉयबल्टिटी को एडजेस्ट कर सकते हैं।  इस टीसीएस को आयकर रिफंड के रूप में दावा किया जा सकता है, या आयकर रिटर्न दाखिल करते समय या अपने अग्रिम करों की गणना के लिए क्रेडिट का लाभ उठाया जा सकता है। बैंक कटौती के समय एक टीसीएस प्रमाणपत्र प्रदान करता है, जिसका उपयोग आपके आईटीआर (आयकर रिटर्न) फाइलिंग में टीसीएस का दावा करते समय किया जाता है 

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