Google ने इस कर्मचारी को ऑफर किया 830 करोड़ रुपये का पैकेज, जानें कारण

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रितिका कमठान । May 28 2025 5:06PM

वर्ष 2011 में नीलमोहन गूगल के बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हेड थे। इसी दौरान ट्विटर ने भी कोशिश की कि नील मोहन को अपनी टीम में शामिल किया जाए। ट्विटर में उस दौरान नील के पुराने बॉस डेविड रोसेनब्लैट की नियुक्ति थी। उन्होंने नील को कंपनी में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर के तौर नियुक्ति देने की पेशकश की थी।

कंपनी कई बार अपने महत्वपूर्ण कर्मचारियों को नौकरी पर रोकने के लिए अच्छे ऑफर भी देती है। इसी बीच गूगल ने 100 मिलियन डॉलर (करीब 830 करोड़ रुपये) की पेशकश अपने एक कर्मचारी के लिए दी है ताकि वो कंपनी से नौकरी छोड़कर ना जाए। 

हाल ही में ये हुआ है यूट्यूब के सीईओ नील मोहन के साथ, जब गूगल ने उन्हें एक बड़ी रकम सिर्फ इसलिए ऑफर ताकि वो ट्विटर को ज्वाइन ना करें। हाल ही में ये खुलासा जेरोधा के कोफाउंडर निखिल कामत के पॉडकास्ट में हुआ है। ये खुलासा खुद यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने इस पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान किया है।

इस पॉडकास्ट में बातों बातों में निखिल कामत ने कहा कि उन्होंने ये पढ़ा था कि गूगन ने नील मोहन को कंपनी छोड़ने से रोकने के लिए 100 मिलियन डॉलर (करीब 830 करोड़ रुपये) की पेशकश की है। नील मोहन ने इस बात से इनकार नहीं किया। पॉडकास्ट में ये भी बताया गया कि ये राशि उन्हें आज नहीं बल्कि 15 वर्ष पहले दी गई थी जब ये रकम काफी अधिक मायने रखती थी। 

 

गूगल-ट्विटर के बीच हुई थी खींचतान

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011 में नीलमोहन गूगल के बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हेड थे। इसी दौरान ट्विटर ने भी कोशिश की कि नील मोहन को अपनी टीम में शामिल किया जाए। ट्विटर में उस दौरान नील के पुराने बॉस डेविड रोसेनब्लैट की नियुक्ति थी। उन्होंने नील को कंपनी में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर के तौर नियुक्ति देने की पेशकश की थी। 

हालांकि नील इस ऑफर को लेकर कोई फैसला लेते इससे पहले ही नील को रोकने के लिए गूगल ने उन्हें बड़ी रकम की पेशकश कर दी थी। गूगल ने उन्हें 100 मिलियन डॉलर (करीब 830 करोड़ रुपये) की पेशकश की थी। उन्हें गूगल ने ये राशि स्टॉक के तौर पर जारी किए थे, जो समय समय पर उन्हें मिलते रहते है। इस तरह गूगल ने सुंदर पिचाई को भी रोका था और उन्हें 50 मिलियन डॉलर स्टॉक ग्रांट के तौर पर दिए थे। 

 

प्रेरणादायक रहा नील मोहन का करियर

बता दें कि नील मोहन का करियर प्रेरणादायक रहा है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद वर्ष 1994 में उन्होंने एंडरसन कंसल्टिंग ज्वाइन की और करियर की शुरुआत की। उन्होंने नेटग्रैविटी स्टार्टअप में काम किया। इस डबलक्लिक ने बाद में खरीद लिया था। वो डबलक्लिक के वाइस प्रेसिडेंट भी बने। वहीं गूगल ने जब डबलक्लिक को 3.1 बिलियन डॉलर में वर्ष 2007 में खरीदा था को नील गूगल के साथ जुड़े। यहां उन्हें प्रोडक्ट डिवेलपमेंट का काम सौंपा गया। उन्हें 2015 में यूट्यूब का चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर बनाया गया।

बता दें कि यूट्यूब को बेहतर बनाने के लिए नील ने समय समय पर कई कदम उठाए है। वो वर्ष 2023 में यूट्यूब के सीईओ बने थे। इसके बाद से वो काफी नए विचार यूट्यूब के लिए लेकर आए हैं जिससे प्लेटफॉर्म अधिक बेहतर बना है।

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