GSTN हेल्पडेस्क के पास रोजाना आ रही हैं 10,000 कॉल
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सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रही है। जीएसटीएन हेल्पडेस्क को एक दिन में 10,000 कॉल मिल रही हैं।
सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रही है। जीएसटीएन हेल्पडेस्क को एक दिन में 10,000 कॉल मिल रही हैं जिसमें जीएसटी से संबंधित सवाल पूछे जा रहे हैं। इन सवालों में एक लगातार पूछा जाने वाला प्रश्न यह है कि मैं अपना पंजीकरण कैसे कराऊं। इसके अलावा पासवर्ड भूलने से संबंधित सवाल भी बड़ी संख्या में पूछे जाते हैं।
जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पर काम का बोझ इतना अधिक हो चुका है कि वह दो सप्ताह में अपने कॉल सेंटर के कर्मचारियों की संख्या को दोगुना कर 400 करने की तैयारी कर रही है। इससे जीएसटीएन को रिटर्न से संबंधित सवालों का जवाब देने में मदद मिलेगी। रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया सितंबर से शुरू होगी। जीएसटीएन वह कंपनी है जो सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के लिए आईटी ढांचा बनाने का काम कर रही है। कंपनी ने 25 जून को कॉल सेंटर खोला और 0120-4888999 हेल्पलाइन नंबर करदाताओं की मदद और उनकी नामांकन से संबंधित पूछताछ के लिए दिया। करीब 69 लाख उत्पादक, वैट और सेवाकर दाता पहले ही जीएसटीएन पोर्टल पर स्थानांतरित हो चुके हैं।
इसके अलावा 4.5 लाख नए करदाता इसके तहत आए हैं। माल एवं सेवा कर एक जुलाई से लागू हुआ है। जीएसटीएन को उम्मीद है कि और कंपनियां तथा व्यापारी अपना पंजीकरण कराएंगे या जीएसटीएन प्लेटफार्म पर स्थानांतरित होंगे। जीएसटीएन के चेयरमैन नवीन कुमार ने कहा, ‘‘हम कॉल सेंटर पर करदाताओं की ओर से रोजाना 10,000 कॉल मिल रही हैं। हम दो सप्ताह में कॉल सेंटर के एजेंटों की संख्या दोगुना कर 400 करेंगे जिससे रिटर्न फाइलिंग के समय हमारे पास पर्याप्त श्रमबल हो।’’
नोएडा स्थित कॉल सेंटर पर सबसे ज्यादा पूछताछ जीएसटीएन पर पंजीकरण या पोर्टल पर लॉग इन करने, पासवर्ड के बारे पूछने और दस्तावेजों को अपलोड करने से संबंधित आ रही है। कई लोग यह पूछ रहे हैं कि कैसे स्थायी रेफरेंस संख्या (टीआरएन) बनाई जाए। इसके अलावा डिजिटल हस्ताक्षर को अपलोड करने के बारे में भी सवाल पूछे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि एजेंट किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाते तो उसे निरीक्षक के पास भेजा जाता है। जटिल सवालों पर जीएसटीएन के विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।
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