पोल्ट्री क्षेत्रों में बढ़ रहा है एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल
[email protected] । Feb 28 2018 3:53PM
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने उन सभी विज्ञापनों की कड़ी आलोचना की है जिसमें चिकन में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल न किए जाने का दावा किया गया है और उसने पोल्ट्री क्षेत्र में बढ़ते एंटीबायोटिक दवाओं
नयी दिल्ली। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने उन सभी विज्ञापनों की कड़ी आलोचना की है जिसमें चिकन में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल न किए जाने का दावा किया गया है और उसने पोल्ट्री क्षेत्र में बढ़ते एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को लेकर आगाह भी किया। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने कल अखिल भारतीय कुक्कुट विकास एवं सेवा प्राइवेट लिमिटेड को उनके विज्ञापनों के लिए लताड़ा और उसे (विज्ञापनों को) ‘पूरी तरह मिथ्या प्रस्तुति’ बताया।
यह विज्ञापन 2014 के चिकन पर सीएसई के अध्ययन की चर्चा करता है लेकिन उनका कहना है कि अध्ययन के नतीजों को तोड़ मरोड़ कर यह दिखाया गया है कि पोल्ट्री क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं को दुरुपयोग नहीं किया जाता और चिकन पूरी तरह सुरक्षित है। सीएसई के उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने कहा, ‘यह पूरी तरह से गलत तथ्य है और भारतीय पोल्ट्री उद्योग में एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल किया गया जाता है। पोल्ट्री क्षेत्र में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।’
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