India Budget 2023: टैक्सपेयर्स को सौगात देने जा रही मोदी सरकार! टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने पर हो रहा विचार

Nirmala Sitharaman
ANI
अंकित सिंह । Jan 7 2023 3:14PM

2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। पिछले कुछ सालों को देखें तो सरकार की ओर से बजट में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं। टैक्सपेयर्स को लेकर भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। हालांकि इस बार टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि इसकी छूट सीमा में बढ़ोतरी होगी।

2023 के बजट में बस कुछ ही दिनों का वक्त बचा हुआ है। मोदी सरकार पार्ट 2 का यह आखरी पूर्ण बजट होगा। ऐसे में इस बजट से आम लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। आर्थिक विशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि इस बार के बजट में मोदी सरकार सैलरीड क्लास से लेकर किसानों तक को बड़ी राहत प्रदान कर सकती है। 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। पिछले कुछ सालों को देखें तो सरकार की ओर से बजट में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं। टैक्सपेयर्स को लेकर भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। हालांकि इस बार टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि इसकी छूट सीमा में बढ़ोतरी होगी। यहां तक कि यह भी कहा जा रहा है कि इस बार बेसिक इनकम टैक्स की छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख किया जा सकता है। 

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अगर सरकार की ओर से यह फैसला होता है तो मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में देखें तो बेसिक इनकम टैक्स छूट की सीमा व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के लिए नई और पुरानी व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपए तक ही है। दरअसल, न्यू टैक्स रिजीम आजादी के बाद से चली आ रही परंपरा से अलग है। पारंपरिक टैक्स व्यवस्था को ओल्ड टैक्स रिजीम कहा जाता है। ओल्ड टैक्स रिजीम में 80सी, 80डी, एचआरए समेत कई तरह के डिडक्शन पर क्लेम किया जा सकता है। लेकिन नए टैक्स व्यवस्था में यह मुमकिन नहीं है। इन सब के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार सात कर स्लैब वाली वैकल्पिक आयकर व्यवस्था इसलिए लाई ताकि निम्म आय वर्ग के लोगों को कम कर देना पड़े। 

सीतारमण ने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था में प्रत्येक करदाता लगभग 7-10 छूट का दावा कर सकता है और आय सीमा के आधार पर आयकर की दरें 10, 20 और 30 प्रतिशत के बीच होती हैं। मंत्री ने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था के साथ ही सरकार एक वैकल्पिक प्रणाली लेकर आई है, जिसमें कोई छूट नहीं है, लेकिन यह सरल है और इसकी कर दरें कम हैं। सरकार ने आम बजट 2020-21 में वैकल्पिक आयकर व्यवस्था शुरू की थी, जिसके तहत व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) पर कम दरों के साथ कर लगाया गया। हालांकि, इस व्यवस्था में किराया भत्ता, आवास ऋण के ब्याज और 80सी के तहत निवेश जैसी अन्य कर छूट नहीं दी जाती है। इसके तहत 2.5 लाख रुपये तक की कुल आय कर मुक्त है। 

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इसके बाद 2.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की कुल आय पर पांच फीसदी, पांच लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10 फीसदी, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक आय पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर आय पर 30 फीसदी की दर से कर लगाया जाता है। पुरानी कर व्यवस्था के तहत भी 2.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है। इसके बाद 2.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच की आय पर पांच प्रतिशत कर लगता है, जबकि पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच 20 प्रतिशत कर लगाया जाता है। इसके बाद 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर लगता है। सीतारमण ने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था के लाभ को हटाया नहीं गया है, बल्कि नयी छूट मुक्त कर व्यवस्था आयकर रिटर्न प्रणाली का एक वैकल्पिक रूप है। मंत्री ने कहा कि उत्पीड़न को खत्म करने के लिए कर विभाग ने आयकर रिटर्न के ‘फेसलेस’ यानी बिना आमने-सामने आये आकलन की व्यवस्था की है।

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