Inflation: थोक महंगाई बढ़ी, 13 महीने में सर्वाधिक हुई, तेल समेत बढ़े इन चीजों के दाम

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रितिका कमठान । May 14 2024 5:36PM

इक्रा ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सब्जियों की महंगाई दर 23.60 प्रतिशत रही, जो मार्च में 19.52 प्रतिशत थी। आलू की महंगाई दर मार्च के 52.96 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 71.97 प्रतिशत हो गई।

भारत सरकार ने होलसेल प्राइस इंडेक्स का डेटा जारी किया है, जिसमें सामने आया कि अप्रैल में थोक महंगाई बीते 13 महीनों में सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल में थोक महंगाई 1.26 फीसदी हो गई है। हालांकि अनुमान था कि इस दौरान थोक महंगाई 0.8 से 1.1 फीसदी तक रह सकती है। 

अनुमान से अधिक अप्रैल महीने में थोक महंगाई अनुमान से आगे हो गई है। महंगाई इंडेक्स में उछाल आया है। इस कारण साग, सब्जियों और दालों की कीमत काफी अधिक बढ़ गई है। होलसेल इंडेक्स में जमकर उछाल देखने को मिला है। थोक मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने बढ़कर 13 महीने के उच्चस्तर 1.26 प्रतिशत पर पहुंच गई है। थोक मुद्रास्फीति मूल रूप से खाद्य पदार्थों (जिसमें सब्जियों के बढ़ते दाम शामिल है, ईंधन और बिजली के दाम बढ़ने से बढ़ी है। 

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में दो महीने से बढ़ोतरी जारी है। फरवरी में मुद्रास्फीति 0.20 प्रतिशत थी, वहीं मार्च में मुद्रास्फीति 0.20 प्रतिशत बढ़ गई थी। वहीं अप्रैल में इसमें और अधिक इजाफा हुआ है। अप्रैल 2023 में यह 0.79 प्रतिशत पर पहुंची थी। वहीं एक साल के बाद यानी अप्रैल 2024 में मुद्रास्फिति अपने बीते 13 महीने के दौरान सर्वाधिक स्तर पर है। मुद्रास्फिति इस दौरान 1.26 प्रतिशत पर थी।

मुद्रास्फिति को लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बयान भी जारी किया है। बयान के अनुसार अप्रैल, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पाद विनिर्माण, अन्य विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 7.74 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 6.88 प्रतिशत थी।

ईंधन और बिजली में मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.38 प्रतिशत रही, जो मार्च में शून्य से 0.77 प्रतिशत नीचे थी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति वैश्विक जिंस कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसमें साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। नायर ने कहा, ‘‘ पिछले कुछ महीनों में कई जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें कच्चे तेल की कीमतें भी शामिल हैं जो अप्रैल में बढ़ीं। अभी तक जिंस कीमतों का रुख देखते हुए डब्ल्यूपीआई के मई और जून में दो प्रतिशत के पार जाने का अनुमान है।’’ 

 

इक्रा ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सब्जियों की महंगाई दर 23.60 प्रतिशत रही, जो मार्च में 19.52 प्रतिशत थी। आलू की महंगाई दर मार्च के 52.96 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 71.97 प्रतिशत हो गई। प्याज में यह 59.75 प्रतिशत रही जबकि मार्च में यह 56.99 प्रतिशत थी। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘‘ भविष्य में सितंबर/अक्टूबर, 2024 तक खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद है क्योंकि कई खरीफ फसलें मंडियों में आना शुरू करेंगी और मौजूदा आपूर्ति की स्थिति सुधरेगी।’’ 

 

आंकड़ों के अनुसार, विनिर्मित उत्पादों में अप्रैल में महंगाई दर में कमी आई और यह 0.42 प्रतिशत रही। मार्च में यह 0.85 प्रतिशत थी। अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के उलट है। आरबीआई मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ गई। आरबीआई ने पिछले महीने लगातार सातवीं बार नीतिगत ब्याज दर रेपो को यथावत रखा था। आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति की बैठक पांच से सात जून को होनी है। 

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