किस्त भुगतान पर स्थगन अवधि दो साल तक आगे बढ़ने की संभावना, जानिए क्या है पूरा मामला

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केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ से कहा कि कोविड- 19 महामारी के बीच किस्त भुगतान पर स्थगन अवधि को दो साल तक बढ़ाने की गुंजाइश रखी गई है।

नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को कहा कि बैंक कर्ज की किस्तों की स्थगन अवधि के ब्याज को छोड़ना ‘‘वित्त के मूल सिद्धांत’’ के खिलाफ होगा और यह उन लोगों के प्रति भी अन्याय होगा जिन्होंने अपनी मासिक किस्तों का भुगतान तय समय से किया है। केन्द्र सरकार ने शीर्ष अदालत को हालांकि, यह भी बताया है कि रिजर्व बैंक ने दबाव झेल रहे कर्जदारों के लिये एक योजना पेश की है जिसमें उन्हें किस्त भुगतान के लिये दो साल तक का अतिरिक्त समय मिल सकता है। वित्त मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफानामा दाखिल किया है। 

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उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक से कोविड-19 महामारी के दौरान कर्ज किस्त के भुगतान पर दी गई छूट अवधि में ईएमआई किस्तों पर ब्याज और ब्याज पर ब्याज वसूले जाने की स्थिति के बारे में पूछा था। इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ से कहा कि कोविड- 19 महामारी के बीच किस्त भुगतान पर स्थगन अवधि को दो साल तक बढ़ाने की गुंजाइश रखी गई है। पीठ मामले की आगे सुनवाई बुधवार को करेगी।

वित्त मंत्रालय में अवर सचिव आदित्य कुमार घोष ने हलफनामे में कहा कि सभी समस्याओं के लिये एक ही समाधान ठीक नहीं हो सकता है।सरकार ने कहा कि कर्ज भुगतान स्थगन अवधि के दौरान ब्याज नहीं लेने के बारे में रिजर्व बैंक का सर्कुलर उन लोगों के साथ अन्याय होगा जो कि कर्ज की अपनी मासिक किस्तों का भुगतान लगातार करते रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है, ‘‘स्थगन अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से छूट देना वित्त के मूल सिद्धांता के खिलाफ होगा।’’ रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त को जारी अपने सकुर्लर के जरिये बैंकों को कोविड- 19 से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिये अधिकार दिये हैं। इसमें विभिन्न व्यक्तिगत कर्जदारों को ब्याज दरों में बदलाव, ब्याज राशि में कमी करने जैसी विभिन्न प्रकार की रियायतें देकर समस्या का समाधान करने को कहा गया है। 

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रिजर्व बैंक के सकुर्लर में कर्ज की शेष अवधि को नये सिरे से तय करते समय भुगतान पर स्थगन के साथ और बिना स्थगन के दो साल तक बढ़ाने की भी अनुमति दी गई है। इसमें जुर्माना ब्याज और शुल्क से छूट देने को कहा गया है। हलफनामे में कहा गया है कि समूची ब्याज राशि को कुछ समय तक भुगतान में छूट की अवधि के साथ नये रिण में परिवर्तित करने और अतिरिक्त रिण की मजूरी देने जैसे कदम भी उठाये जा रहे हैं। केन्द्र सरकार ने कहा कि रिजर्व बैंक के नियमों के तहत पात्र कर्जदारों के लिये वांछित राहत अब उपलब्ध हैं। इसके अलावा कोविड- 19 से प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिये केन्द्र सरकार ने कई तरह के उपाय किये हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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