लाजिस्टिक के लिये अलग इकाई गठित करेगा वाणिज्य मंत्रालय

वाणिज्य मंत्रालय लाजिस्टिक्स (माल पहुंचाने की प्रणालियों) की लागत समेत इससे जुड़े मुद्दों से निपटने के लिये एक अलग लाजिस्टिक यूनिट स्थापित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय लाजिस्टिक्स (माल पहुंचाने की प्रणालियों) की लागत समेत इससे जुड़े मुद्दों से निपटने के लिये एक अलग लाजिस्टिक यूनिट स्थापित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। लाजिस्टिक्स की ऊंची लागत भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धाक्षमता प्रभावित कर रही है। फिलहाल अलग से कोई ऐसा विभाग या मंत्रालय नहीं है जो समुद्री, सड़क और रेलवे समेत परिवहन के विभिन्न मॉडलों से संबंधित लाजिस्टिक से संबंधित सभी पहलुओं पर गौर कर सके।
सूत्रों के मुताबिक संबद्ध मंत्रालयों के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। निर्यातकों ने भी लाजिस्टिक से संबंधित मुद्दों के निपटाने के लिये विशेष विभाग की मांग की है। उन्होंने लाजिस्टिक में कमी जैसे मुद्दों पर गौर करने और उसके समाधान के उपायों के लिये अध्ययन का सहारा लिया है। व्यापार मामलों के एक विशेषज्ञ ने कहा कि एकल निकाय लाजिस्टिक से जुड़ी सभी पहलुओं के बीच समन्वय स्थापित करने में मदद करेगा। फिलहाल इन पहलुओं का प्रबंधन अलग-अलग विभाग कर रहे हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यातकों की लाजिस्टिक प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने के लिये माल भाड़ा के संदर्भ में रेल मंत्रालय को निर्यात, आयात और सामान्य श्रेणी की खेप के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करने की जरूरत के बारे में सुझाव दिया है। देश में निर्यात की लाजिस्टिक लागत काफी अधिक है और इसके कारण भारतीय वस्तुएं वैश्विक बाजारों में कम प्रतिस्पर्धी हैं। भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान 2.52 प्रतिशत बढ़कर 245.4 अरब डालर रहा। भारत ने 2020 तक वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 2.0 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। व्यापार बढ़ने से रोजगार अवसर सृजित करने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी।
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