खाद्य oil-oilseeds कीमतों में मिलाजुला रुख

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बिनौला बीज की आवक कम होने से बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे नरम तेलों (सॉफ्ट आयल) का इतना अधिक आयात हो रखा है कि बिनौला और सरसों जैसे तिलहनों का बाजार में खपना दूभर हो गया है।

सस्ते आयातित तेलों का असर दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को भी जारी रहा, जिसकी वजह से सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल में गिरावट दर्ज हुई जबकि साधारण मांग के बीच मूंगफली तेल तिलहन के भाव में बेहद मामूली सुधार आया। बिनौला बीज की आवक कम होने से बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे नरम तेलों (सॉफ्ट आयल) का इतना अधिक आयात हो रखा है कि बिनौला और सरसों जैसे तिलहनों का बाजार में खपना दूभर हो गया है।

आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन (सॉफ्ट आयल) का भाव इस कदर टूटा हुआ है कि महाराष्ट्र में देशी तेल मिलों को देशी सूरजमुखी बीज और सोयाबीन की पेराई में नुकसान हो रहा है क्योंकि इसकी लागत अधिक बैठती है और जो दाम बनता है वह सस्ते आयातित तेलों के कारण खरीदा जाना मुश्किल हो रहा है। बिनौला की बाजार में आवक भी पहले के 1.50 लाख गांठ से घटकर 1.08 लाख गांठ रह गयी। यह निश्चित रूप से खल की कमी पैदा करेगा और खल के दाम और महंगे हो सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि अभी हाल ही में जयपुर में सरसों तेल संगठनों की बैठक में कहा गया कि सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले सरसों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसमें चावल भूसी तेल की भी मिलावट की शिकायतें मिल रही हैं। बैठक में यह भी कहा गया कि अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अधिक निर्धारित किये जाने की वजह से ग्राहकों को सरसों तेल 180-200 रुपये लीटर के दाम बेचे जा रहे हैं जबकि देशी सरसों तेल का भाव लगभग 115 रुपये लीटर बैठता है।

सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार को तिलहन उत्पादन बढ़ाना है, उपभोक्ताओं को सस्ता माल मुहैय्या कराना है, मुद्रास्फीति भी नियंत्रित करनी है, देश के तेल मिलों को चलाना है, किसानों के हितों को भी संरक्षित करना है तो उसे पुराने ढर्रे पर लौटना होगा और निजी मिलों को शुल्कमुक्त आयात जैसी छूट का फायदा देना होगा जो सूरजमुखी और सोयाबीन की रिफायनिंग के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से गरीब जनता को खाद्यतेल सुलभ कराये। इस व्यवस्था से सभी को लाभ पहुंच सकता है।

इसके अलावा बाकी खाद्यतेलों पर तत्काल आयात शुल्क अधिकतम सीमा तक बढ़ाना होगा। नहीं तो पानी सर से उपर चला जायेगा और स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जायेंगी। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,275-5,325 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,780-6,840 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,600 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,950 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,710-1,780 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,710-1,830 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,280 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,150 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,200-5,350 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,960-5,010 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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