रूस के सूरजमुखी का निर्यात शुल्क घटाने के बाद ज्यादातर oil-oilseed कीमतों में गिरावट

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इस निर्यात शुल्क घटाने के फैसले के बाद देश में खाद्यतेलों का अधिक आयात होने की आशंका से मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीनतेल कीमतों में मामूली गिरावट रही जबकि कम कारोबार के दौरान सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

रूस के सूरजमुखी तेल पर निर्यात शुल्क को घटाये जाने के बाद शुक्रवार को ज्यादातर खाद्यतेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली। इस निर्यात शुल्क घटाने के फैसले के बाद देश में खाद्यतेलों का अधिक आयात होने की आशंका से मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीनतेल कीमतों में मामूली गिरावट रही जबकि कम कारोबार के दौरान सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। मलेशिया एक्सचेंज में 1.75 प्रतिशत की तेजी है जबकि शिकागो एक्सचेंज कल रात तेज बंद हुआ था और अभी भी इसमें 1.5 प्रतिशत का सुधार है।

सूत्रों ने बताया कि रूस के सूरजमुखी तेल वैश्विक बाजारों में बेपड़ता बैठ रहे थे जिसकी वजह से यह अन्य स्थानों पर कम बिक रहा था। इस स्थिति को बदलने के मकसद से रूस से सूरजमुखी तेल पर लगने वाले निर्यात शुल्क में कमी कर दी है ताकि वह वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें। इस फैसले के बाद देश में सस्ते आयातित तेल का आयात बढ़ने की आशंका से तेल कीमतों में मामूली गिरावट रही। सूत्रों ने कहा कि सरकार को मौजूदा स्थिति को संभालने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे क्योंकि फसल कटाई के दौरान हुई बेमौसम बरसात के कारण सरसों के बचे हुए लगभग 80 लाख टन के स्टॉक में से 40-45 प्रतिशत सरसों का स्टॉक नमी वाला है।

इन नमी वाले फसलों को अधिक से अधिक 4-6 महीने ही सुरक्षित रखा जा सकता है क्योंकि इस अवधि के बाद इसके खराब हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार को देशी तेल तिलहन का बाजार बनाने की ओर ध्यान देना होगा नहीं तो अगर किसानों को दाम नहीं मिले और उनकी उपज नहीं खपी तो उनका हौसला टूटने का खतरा है। किसानों की उपज जब बची रह जायेगी तो अगली बार वो कैसे बुवाई कर पायेंगे? सूत्रों ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि मौजूदा लागत को देखते हुए सूरजमुखी, सोयाबीन और चावल भूसी (राइस ब्रायन) तेल का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) ज्यादा से ज्यादा 110 रुपये प्रति लीटर से अधिक न हो।

बैठकों के जरिये एमआरपी दुरुस्त करने के अभी तक के प्रयास अधिक सफल नहीं दीख रहे। इसको देखते हुए सरकार को इन तेल कंपनियों एवं पैकरों को एक सरकारी पोर्टल पर नियमित अंतराल पर अपने एमआरपी का खुलासा करते रहने का निर्देश देना चाहिये। इससे स्थिति को काफी हद तक काबू में लाया जा सकता है। शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 4,855-4,955 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,380-6,440 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,030 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,405-2,670 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,590-1,670 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,590-1,700 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,660 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,460 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,020 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,440 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,550 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,570 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,080-5,155 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,855-4,935 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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