RBI वित्त वर्ष की शेष अवधि में नीतिगत दर को रख सकता है यथावत
![RBI can keep policy rates in the remaining period of the financial year RBI can keep policy rates in the remaining period of the financial year](https://images.prabhasakshi.com/2017/9/_650x_2017091716264440.jpg)
रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2017-18 में बाकी बची अवधि के लिये नीतिगत दर को मौजूदा स्तर पर बरकरार रख सकता है। इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे बने रहने की आशंका है जो मार्च तक 4.7 प्रतिशत हो सकती है।
नयी दिल्ली। रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2017-18 में बाकी बची अवधि के लिये नीतिगत दर को मौजूदा स्तर पर बरकरार रख सकता है। इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे बने रहने की आशंका है जो मार्च तक 4.7 प्रतिशत हो सकती है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति दोनों नीचे से ऊपर आ गये हैं और खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2018 तक 4.7 प्रतिशत और थोक मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत रह सकती है। इसमें कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की आवास किराया भत्ता सिफारिशों के लागू होने से खुदरा मुद्रास्फीति पर दबाव बनेगा। केंद्रीय बैंक के लिये खुदरा मुद्रास्फीति महत्वपूर्ण कारक है जिसके आधार पर वह मौद्रिक नीति को लकर अपना रुख तय करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक हमारा अनुमान है कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2018 तक 4.7 प्रतिशत (आवास किराया भत्ता के बिना 4.3 प्रतिशत) रह सकती है।’’ उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गयी। यह जुलाई में 2.36 प्रतिशत थी। घरेलू ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार आरबीआई चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में रेपो दर को यथावत रख सकता है लेकिन बेहतर मानूसन के बीच खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार और रुपये की विनिमय दर में वृद्धि के कारण आयातित विस्फीति से अगर मुद्रास्फीति आश्चचर्यजनक रूप से 4 प्रतिशत से नीचे रहती है तो नीतिगत दर में कटौती पर विचार कर सकता है।
रिजर्व बैंक ने अगस्त में मुद्रास्फीति जोखिम में कमी का हवाला देते हुए रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। केंद्रीय बैंक की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 3-4 अक्तूबर को होनी है।
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