आरबीआई का संरचनात्मक सुधारों पर जोर, मुद्रास्फीति को लेकर किया आगाह

Reserve Bank of India
ANI Twitter.

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट यह भी कहा कि कोविड काल में कर्ज पुनर्गठन प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों के ऋण व्यवहार को लेकर सजगता बरतने के साथ ही बैंकों के लिए वृद्धि को समर्थन देना भी जरूरी होगा। वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्तीय मानदंडों पर बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति बेहतर हुई है।

मुंबई| मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सतत आर्थिक वृद्धि के लिए संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया है। साथ ही आरबीआई ने बैंकों से पुनर्गठित किए गए ऋणों को लेकर सतर्क रहने को कहा।

केंद्रीय बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा कि मार्च 2022 तक चलन में कुल मुद्राओं के मुकाबले 2,000 रुपये नोटों की संख्या घटकर 1.6 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में दो प्रतिशत थी।

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य की वृद्धि का मार्ग आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करने, मुद्रास्फीति को कम करने तथा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीति को समायोजित करने के जरिए निर्धारित किया जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत की मध्यावधि वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए ढांचागत सुधार टिकाऊ, संतुलित और समावेशी वृद्धि के लिए अहम है। विशेषकर वैश्विक महामारी के बाद के प्रभावों के मद्देनजर कर्मचारियों में कौशल विकसित करने में मदद देना और उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना सिखाना आवश्यक है।’’ आरबीआई ने कहा, ‘‘अनिश्चितताओं के बीच मुद्रास्फीति का रुख मुख्य रूप से बदलती वैश्विक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।’’

रिपोर्ट में कहा गया कि औद्योगिक कच्चे माल की ऊंची कीमतें, परिवहन लागत, वैश्विक ‘लॉजिस्टिक’ तथा आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा रहे हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि के बीच थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ते अंतर की वजह से विनिर्माण लागत का दबाव कुछ समय बाद खुदरा मुद्रास्फीति पर पड़ने को जोखिम है...।’’

इसमें कहा गया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और उसकी वजह से जिंसों की कीमतों में वृद्धि भारत समेत दुनियाभर के मुद्रास्फीति परिदृश्य को प्रभावित कर रही है। मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए सरकार ने हाल ही में वाहन ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती, इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाली कुछ कच्ची सामग्री पर आयात शुल्क खत्म करने समेत कई कदम उठाए हैं। ईंधन से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति करीब आठ साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये इस महीने नीतिगत दर रेपो 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया।

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट यह भी कहा कि कोविड काल में कर्ज पुनर्गठन प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों के ऋण व्यवहार को लेकर सजगता बरतने के साथ ही बैंकों के लिए वृद्धि को समर्थन देना भी जरूरी होगा। वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्तीय मानदंडों पर बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि जिन कंपनियों के कर्ज पुनर्गठित हुए, उनके ऋण व्यवहार को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है ताकि महामारी से अधिक प्रभावित रहे क्षेत्रों में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) या फंसे कर्ज के मामले न बढ़ें।

आरबीआई ने बताया कि दो हजार रुपये के बैंक नोट की संख्या में पिछले कुछ साल से गिरावट का सिलसिला जारी है। इस साल मार्च अंत तक चलन वाले कुल नोट में इनकी हिस्सेदारी घटकर 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत रह गई। इस साल मार्च तक सभी मूल्यवर्ग के नोटों की कुल संख्या 13,053 करोड़ थी। इससे एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 12,437 करोड़ था।

वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘रिजर्व बैंक भारत में एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की शुरुआत की तैयारी कर रहा है। सीबीडीसी के डिजाइन को मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता और मुद्रा तथा भुगतान प्रणालियों के कुशल संचालन के घोषित उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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