RBI ने सरकार को दिया तोहफा, अब भरेगा खजाना, पिछले साल के मुकाबले मिलेंगे इतने करोड़ रुपये

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रितिका कमठान । May 22 2024 5:35PM

आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच व्यापक आर्थिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया गया था।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने केंद्र सरकार को खुश होने का शानदार मौका दे दिया है। केंद्रीय बैं ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश भुगतान करने के फैसले को मंजूरी दी है। ये केंद्र सरकार को आरबीआई की ओर से मिला अब तक का सर्वाधिक लाभांश होने वाला है। ये राशि एक साल पहले की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।

जानकारी के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार को 87,416 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था। इससे पहले आरबीआई द्वारा दिया गया उच्चतम स्तर वर्ष 2018-19 में था, जब रिजर्व बैंक ने 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश केंद्र सरकार को दिया था। बता दें कि ये निर्णय आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक में लिया गया है, जिसकी अध्यक्षता गवर्नर शक्तिकांत दास ने की है। 

इस फैसले के बाद रिजर्व बैंक ने बयान भी जारी किया है। इस बयान के मुताबिक निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,10,874 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी।’’ चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान जताया था। अनुमान से अधिक लाभांश मिलने से सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी। 

 

ये है केंद्र सरकार का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर यानी राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा हुआ है। आरबीआई के निदेशक मंडल ने वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिमों और वैश्विक एवं घरेलू आर्थिक परिदृश्य की भी समीक्षा की। इसके अलावा बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर चर्चा की गई और पिछले वित्त वर्ष के लिए इसकी वार्षिक रिपोर्ट एवं वित्तीय विवरण को मंजूरी दी गई। आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच व्यापक आर्थिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया गया था। इससे वृद्धि एवं समग्र आर्थिक गतिविधि का समर्थन मिलने की उम्मीद थी। 

आरबीआई ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि में पुनरुद्धार होने पर सीआरबी को बढ़ाकर 6.00 प्रतिशत किया गया था। अर्थव्यवस्था में मजबूती और जुझारूपन बने रहने से निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सीआरबी को बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का फैसला किया है।’’ आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देय लाभांश राशि के बारे में निर्णय अगस्त, 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर लिया गया है। बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने ईसीएफ की अनुशंसा की थी। समिति ने कहा था कि सीआरबी के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई के बही-खाते के 6.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में रखा जाना चाहिए।

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