अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद करेंगे रिजर्व बैंक के उपाय: एसबीआई चेयरमैन

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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, सरकार और आरबीआई का पूरा प्रयास अर्थव्यवस्था को वृद्धि की पटरी पर वापस लाना है।इसके साथ ही सरकार और रिजर्व बैंक का प्रयास उन चुनौतियों की पहचान करने का भी है, जिनके कारण उद्योगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में कमी करने और कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत को तीन महीने के लिये और बढ़ाने से अर्थव्यवस्था के त्वरित पुनरुद्धार में मदद मिलेगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को यहां यह टिप्पणी की। आरबीआई ने शुक्रवार को रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने कर्ज की किस्तें चुकाने में दी गयी राहत अवधि को तीन महीने के लिये बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक कर दिया। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों के लिये कॉरपोरेट को कर्ज देने की सीमा नेटवर्थ के मौजूदा 25 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी है। कुमार ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, सरकार और आरबीआई का पूरा प्रयास अर्थव्यवस्था को वृद्धि की पटरी पर वापस लाना है। इसके साथ ही सरकार और रिजर्व बैंक का प्रयास उन चुनौतियों की पहचान करने का भी है, जिनके कारण उद्योगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। रेपो दर में कमी, कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत अवधि का विस्तार और कॉरपोरेट कर्ज की सीमा में वृद्धि...ये सारे उपाय अर्थव्यवस्था को उबारने की दिशा में मददगार हैं।’’ उन्होंने कहा कि ये सारे उपाय कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों के कारण सामने आयी स्थिति की उचित प्रतिक्रिया है।

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कुमार ने कहा, अब तक एसबीआई के 20 प्रतिशत कर्जदारों ने कर्ज की किस्तें चुकाने में तीन महीने की मोहलत का विकल्प चुना है। उन्होंने कहा कि कर्ज की किस्तें चुकाने से राहत की अवधि का विस्तार उद्योग के लिये मददगार होगा। इसके अलावा, इस कदम के कारण आरबीआई को पैसे डालने की तत्काल आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, फिलहाल, कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत का समय बढ़ाने से नकदी के प्रवाह में व्यवधान से संबंधित स्थिति को नियंत्रण में रखा जायेगा। जब हमारे पास 31 अगस्त तक का समय होगा, ऐसे में मैं एक बार के ऋण पुनर्गठन को अधिक तवज्जो नहीं दूंगा।’’ हालांकि कुमार ने कहा कि आरबीआई के सात जून के परिपत्र के अनुसार, यदि आवश्यक हो, तो अभी भी बैंक फंसे कर्ज के खातों का पुनर्गठन करने का विकल्प चुन सकते हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को मोहलत देने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि यह विशिष्ट मामलों के आधार पर दिया जायेगा। उन्होंने कहा, “मामला दर मामला’ आधार पर फैसला करेंगे। हमें उनके (एनबीएफसी / एचएफसी) नकदी प्रवाह को देखना होगा और निर्णय लेना होगा।’’ कुमार ने कहा कि एसबीआई संपत्ति देनदारी समिति (एएलओ) की बैठक के बाद जमा और कर्ज पर ब्याज दरें घटाने के बारे में निर्णय लेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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