RBI Monetary Policy, Paytm और Offline eRupee Transactions को लेकर जो घोषणा हुई उसका क्या मतलब है

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ANI

आरबीआई ने पेटीएम के मुद्दे पर भी बड़ी जानकारी दी है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी पेटीएम का नाम लिये बिना कहा है कि यदि सभी चीजों का अनुपालन किया गया होता तो केंद्रीय बैंक किसी विनियमन वाली इकाई के खिलाफ कार्रवाई क्यों करता।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार छठी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि आपकी लोन की ईएमआई नहीं बढ़ने जा रही है। इसके साथ ही आरबीआई ने अनुमान जताया है कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात प्रतिशत रह सकती है। आरबीआई का यह भी अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहेगी। यह सभी अनुमान दर्शाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है। देश वृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहा है और महंगाई के नियंत्रण में रहने का अनुमान है। आरबीआई ने एक बड़ी घोषणा यह भी की है कि वह अब ई-रुपये का ‘ऑफलाइन’ लेनदेन शुरू करेगा।

पेटीएम मुद्दे पर आरबीआई का बयान

साथ ही आरबीआई ने पेटीएम के मुद्दे पर भी बड़ी जानकारी दी है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी पेटीएम का नाम लिये बिना कहा है कि यदि सभी चीजों का अनुपालन किया गया होता तो केंद्रीय बैंक किसी विनियमन वाली इकाई के खिलाफ कार्रवाई क्यों करता। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने साथ ही कहा कि पेटीएम मामले को लेकर व्यवस्था के बारे में चिंता की कोई बात नहीं है हम केवल भुगतान बैंक की बात कर रहे हैं। दास ने कहा कि हमारा जोर हमेशा आरबीआई के नियामकीय दायरे में आने वाली इकाइयों के साथ द्विपक्षीय गतिविधियों पर होता है, हमारा ध्यान इकाई को सही कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने पर होता है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जब बैंक और एनबीएफसी प्रभावी कदम नहीं उठाते हैं तब हम कारोबार से संबंधित पाबंदियां लगाते हैं। दास ने कहा कि एक जिम्मेदार नियामक होने के नाते व्यवस्था के स्तर पर स्थिरता या जमाकर्ताओं अथवा ग्राहकों के हितों के संरक्षण को ध्यान में रखकर हम कदम उठाते हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई पेटीएम को लेकर की गयी कार्रवाई के बारे में लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए अगले सप्ताह एफएक्यू (बार-बार पूछे जाने वाले सवाल) जारी करेगा। वहीं आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने भी कहा है कि ‘‘लगातार गैर-अनुपालन’’ के लिए पेटीएम के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसे सुधारात्मक कार्रवाई के लिए पर्याप्त समय दिया गया।

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा घोषित द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातों पर गौर करें तो वह इस प्रकार हैं-

* नीतिगत दर या रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार।

* वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के 7.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

* चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 5.4 प्रतिशत रहेगी। 2024-25 में यह घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ जाएगी।

* ब्याज दरों में कटौती का लाभ अभी पूरी तरह उपभोक्ताओं को नहीं मिला है।

* मौजूदा आर्थिक गति अगले वित्त वर्ष में भी बरकरार रहेगी।

* रबी बुवाई में सुधार, विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर लाभप्रदता, 2024-25 में आर्थिक गतिविधि का समर्थन करने के लिए सेवाएं मजबूत।

* निवेश चक्र गति पकड़ रहा है, निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सुधार के संकेत।

* भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, निरंतर वृद्धि पथ पर आत्मविश्वास से प्रगति कर रही है।

* सरकार राजकोषीय सुदृढ़ीकरण पथ पर कायम है; घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत।

* खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता का मुख्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव जारी है।

* भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ रहा है, जिससे जिंस की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।

* विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब अमेरिकी डॉलर; विदेशी दायित्वों को पूरा करने के लिए संतोषजनक।

* घरेलू वित्तीय प्रणाली स्वस्थ ‘बही-खाते’ के साथ मजबूत बनी हुई है।

* विनियमित संस्थाओं को अनुपालन, उपभोक्ता हित संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।

* आरबीआई खराब या सीमित इंटरनेट संपर्क वाले क्षेत्रों में लेनदेन के लिए ‘सीबीडीसी-रिटेल’ में एक ऑफलाइन कार्यक्षमता शुरू करेगा।

* चालू वित्त वर्ष में भारतीय रुपये की विनिमय दर काफी स्थिर रही।

* मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक तीन से पांच अप्रैल को होगी।

अब बात करते हैं ई रुपये की

भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पायलट परियोजना में ‘ऑफलाइन’ लेन-देन की शुरुआत करने की घोषणा की है। इसका मतलब है कि डिजिटल रुपये के उपयोगकर्ता सीमित इंटरनेट कनेक्शन वाले क्षेत्रों में भी लेनदेन कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि प्रायोगिक परियोजना के तहत इसमें कार्यक्रम आधारित अतिरिक्त उपयोग को शामिल किया जाएगा। हम आपको याद दिला दें कि आरबीआई ने दिसंबर, 2022 में खुदरा सीबीडीसी की प्रायोगिक शुरुआत की थी। इसने दिसंबर, 2023 में एक दिन में 10 लाख लेनदेन का लक्ष्य हासिल कर लिया था। उल्लेखनीय है कि अन्य भुगतान मंच, विशेष रूप से बेहद लोकप्रिय यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) में पहले से ही ऑफलाइन की सुविधा दी जा चुकी है। शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘खराब या सीमित इंटरनेट संपर्क वाले क्षेत्रों में लेनदेन को सक्षम करने के लिए सीबीडीसी-खुदरा (रिटेल) में एक ऑफलाइन सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव है।’’ उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए पहाड़ी क्षेत्रों, ग्रामीण और शहरी स्थानों पर कई ‘ऑफलाइन’ समाधानों का परीक्षण किया जाएगा।

शक्ति कांत दास ने कहा कि अभी इसके तहत बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल रुपये वॉलेट का उपयोग करके व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) लेनदेन को सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा कि अब इसे कार्यक्रम आधारित ऑफलाइन रूप से सक्षम करने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम आधाारित क्षमता के जरिये सरकारी एजेंसियों जैसे प्रयोगकर्ता निश्चित लाभ के लिए भुगतान सुनिश्चित कर सकेंगी। दास ने कहा कि कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए कारोबारी यात्रा जैसे कार्यक्रम आधारित खर्च में सक्षम हो सकेंगी। उन्होंने कहा, अतिरिक्त सुविधाएं जैसे वैधता अवधि या भौगोलिक क्षेत्र जिसके भीतर सीडीबीसी का उपयोग किया जा सकता है, को भी ‘प्रोग्राम’ किया जा सकता है।

बैंकों को कर्ज लेने वाले खुदरा ग्राहकों, एमएसएमई को ‘मुख्य तथ्य विवरण’ प्रदान करने का निर्देश

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के लिए सभी खुदरा तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) को दिए जाने वाले कर्ज के लिए उधारकर्ताओं को ब्याज और अन्य शर्तों समेत ‘मुख्य तथ्य विवरण’ (केएफएस) प्रदान करना अनिवार्य करने का बृहस्पतिवार को निर्णय लिया। वर्तमान में केएफएस वाणिज्यिक बैंकों द्वारा व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले ऋण, आरबीआई-विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा डिजिटल ऋण तथा सूक्ष्म वित्त ऋण के संबंध में अनिवार्य है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने हाल ही में ग्राहकों पर लगाए गए ऋण तथा अन्य शुल्कों के मूल्य निर्धारण में आरई द्वारा अधिक पारदर्शिता और खुलासे को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। ऐसा ही एक उपाय यह है कि ऋणदाताओं को अपने उधारकर्ताओं को एक सरल तथा समझने में आसान प्रारूप में ऋण समझौते के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी वाला एक केएफएस प्रदान करना होगा। गवर्नर ने कहा, ''सभी आरई के लिए सभी खुदरा तथा एमएसएमई ऋणों के लिए उधारकर्ताओं को केएफएस प्रदान करना अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है।’’ दास ने कहा कि सभी समावेशी ब्याज लागत सहित ऋण समझौते की शर्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने से उधारकर्ताओं को सोच-समझकर फैसला करने बेहद मदद मिलेगी। आरबीआई ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी), गिफ्ट सिटी, गांधीनगर में ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार में सोने की कीमत के जोखिम से बचाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम की भी घोषणा की। निवासी संस्थाओं को सोने की कीमत के जोखिम से बचाने के लिए दिसंबर, 2022 में उन्हें आईएफएससी में मान्यता प्राप्त एक्सचेंज तक पहुंच की अनुमति दी गई थी। दास ने कहा कि आईएफएससी में ओटीसी खंड में सोने की कीमत के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए यह फैसला किया गया है। केंद्रीय बैंक संबंधित निर्देश अलग से जारी करेगा।

इस बीच, आरबीआई ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के लिए नियामकीय ढांचे की समीक्षा की भी घोषणा की। गवर्नर दास ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ‘ऑनशोर फॉरेक्स’ बाजार का ‘ऑफशोर’ बाजार के साथ एकीकरण बढ़ा है, प्रौद्योगिकी परिदृश्य में उल्लेखनीय विकास हुआ है और उत्पाद विविधता में वृद्धि हुई है। बाजार निर्माताओं ने अनुमत भारतीय रुपया (आईएनआर) उत्पादों की पेशकश करने वाले ऑफशोर ईटीपी तक पहुंच के लिए भी अनुरोध किया है। दास ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने के आरबीआई के इरादे की भी घोषणा की, जिसका उपयोग 2023 में 37 करोड़ लोगों द्वारा किया गया था। दास ने कहा, ''एईपीएस लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, बैंकों द्वारा पालन किए जाने वाले ‘एईपीएस टच पॉइंट ऑपरेटर’ के लिए अनिवार्य उचित परिश्रम सहित ‘ऑनबोर्डिंग’ प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव है।’’ उन्होंने कहा कि इस पर निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे। वर्तमान में दास ने कहा कि ऋणदाता अतिरिक्त कारक प्रमाणीकरण आवश्यकताओं के अनुपालन के लिए एसएमएस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी में प्रगति ने नए साधन खोल दिए हैं। उन्होंने कहा, ''डिजिटल सुरक्षा के लिए ऐसे तंत्रों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए, सिद्धांत-आधारित डिजिटल भुगतान लेन-देन के प्रमाणीकरण के लिए रूपरेखा अपनाने का प्रस्ताव है।’’

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