ईंधन की मांग में कमी से तेल वितरण कंपनियां चिंतित

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IOC के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में कुल खुदरा बिक्री 17 प्रतिशत घटी। इस दौरान डीजल की मांग में 26 प्रतिशत और पेट्रोल की मांग में 17 प्रतिशत की गिरावट हुई और विमानन ईंधन की मांग 33 प्रतिशत घट गई।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण ईंधन की मांग घट जाने से इंवेन्ट्री पर घाटे का सामना कर रही हैं। मांग घट जाने से उन्होंने उत्पादन में कटौती की है। ऊर्जा की खपत के लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से कारोबार बंद हैं, हवाई उड़ानें बंद हैं, रेलगाड़ियां बंद हैं और गाड़ियों की लगभग सभी तरह की आवाजाही भी रुकी हुई है। इसके चलते ईंधन की मांग घटी है। IOC के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में कुल खुदरा बिक्री 17 प्रतिशत घटी। इस दौरान डीजल की मांग में 26 प्रतिशत और पेट्रोल की मांग में 17 प्रतिशत की गिरावट हुई और विमानन ईंधन की मांग 33 प्रतिशत घट गई। इस दौरान सिर्फ रसोई गैस की मांग में तेजी देखने को मिली। बीपीसीएल और एचपीसीएल ने कहा है कि उनकी लॉकडाउन के दौरान उनकी डीजल और पेट्रोल की बिक्री में 55 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

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HPCL  के चेयरमैन मुकेश कुमार सुराना ने पीटीआई-को बताया कि रिफाइनरी उत्पादन करीब 70 प्रतिशत तक आ गया है। बीपीसीएल के रिफाइनरी निदेशक आर रामचंद्रन ने कहा कि रिफाइनरी क्षमता के मुकाबले 70 प्रतिशत से कम पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी डीजल और पेट्रोल की बिक्री 60 प्रतिशत से अधिक घट गई है और विमानन ईंधन की लगभग कोई मांग ही नहीं बची है क्योंकि सिर्फ कुछ मालवाहक विमान ही उड़ान भर रहे हैं।’’ इन कंपनियों को मांग में कमी के चलते इंवेन्ट्री हानि होने की आशंका है। रामचंद्रन ने कहा, ‘‘मार्च, अप्रैल में घाटा निश्चित है और अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो घाटा भी बढ़ेगा।’’ एचपीसीएल के चेयरमैन ने लॉकडाउन आगे बढ़ाने की स्थिति में ईंधन का निर्यात करके नुकसान की भरपाई का भरोसा जताया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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