रिलायंस, नायरा को स्थानीय आपूर्ति पर भी ‘चुकाना’ पड़ रहा है अप्रत्याशित लाभ कर

mukesh ambani
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रिलायंस, नायरा को स्थानीय आपूर्ति पर भी अप्रत्याशित लाभ कर ‘चुकाना’ पड़ रहा है।सूत्रों का कहना है कि इन कंपनियों को न केवल निर्यात पर, बल्कि घरेलू आपूर्ति पर भी अप्रत्याशित लाभ कर देना पड़ रहा है। सरकार ने एक जुलाई को भारत से निर्यात किए जाने वाले डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया था।

नयी दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियों को देश में ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को आपूर्ति पर भी अप्रत्याशित लाभ कर देना पड़ रहा है। हाल में पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियों पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया गया था। सूत्रों का कहना है कि इन कंपनियों को न केवल निर्यात पर, बल्कि घरेलू आपूर्ति पर भी अप्रत्याशित लाभ कर देना पड़ रहा है। सरकार ने एक जुलाई को भारत से निर्यात किए जाने वाले डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया था। इसके अलावा पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर का कर लगाया गया था। साथ ही सरकार ने निर्यात पर अंकुश भी लगाया था। इन कंपनियों को पेट्रोल के कुल निर्यात पर 50 प्रतिशत और डीजल पर 30 प्रतिशत घरेलू आपूर्ति करनी थी। एक पखवाड़े के बाद हुई समीक्षा में सरकार ने पेट्रोल और जेट ईंधन पर निर्यात कर समाप्त कर दिया था।

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वहीं डीजल पर इसे आधे से अधिक घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर कर दिया था। इस मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने बताया कि अप्रत्याशित लाभ कर का सबसे अधिक बोझ रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित रूसी कंपनी नायरा एनर्जी पर पड़ा था। सरकार का मानना था कि ये कंपनियां रूस से बेहद रियायती दरों पर ईंधन खरीदकर उसका निर्यात कर रही हैं और जबर्दस्त मुनाफा काट रही हैं। एक जुलाई के बाद पेट्रोल और डीजल का निर्यात करने वाली रिफाइनरी कंपनियों की प्राप्तियां कम हुई हैं और लगातार निर्यात के लिए उन्हें घरेलू आपूर्ति बढ़ानी होगी। ये आपूर्ति वे सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों, थोक बिक्री या खुदरा बिक्री के रूप में बढ़ाएंगी। वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों (ओएमसी) मसलन हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) ने रिलायंस और अन्य एकल रिफाइनरियों से खरीदे गए पेट्रोल, डीजल के लिए भुगतान अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को काटकर करना शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि ओएमसी को बिक्री के लिए रिफाइनरी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय मूल्य मिलता है क्योंकि रिफाइनरी स्थानांतरण मूल्य 80 प्रतिशत आयात समतुल्य और 20 प्रतिशत निर्यात समतुल्य से निर्धारित किया जाता है।

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इससे आशय पेट्रोल और डीजल के आयात के 80 प्रतिशत औसत मूल्य और इन ईंधनों के निर्यात के 20 प्रतिशत के औसत मूल्य से है। इसके अलावा इस गणना में 2.5 प्रतिशत के सीमा शुल्क को भी शामिल किया जाता है। एक जुलाई के बाद ओएमसी ने इस गणना से निर्यात कर को घटाना शुरू कर दिया है। इससे रिफाइनरी कंपनियों को कम मूल्य मिल रहा है। यह सिद्धान्त रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी, मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स, चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी की एकल रिफाइनरियों से सभी आपूर्ति के लिए अपनाया जा रहा है। इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार ने घरेलू आपूर्ति पर कोई कर नहीं लगाया है। अधिकारी ने कहा कि ओएमसी यह अपने आप कर रही हैं और यह सही भी है। क्योंकि कीमत हमेशा वैकल्पिक बाजार या स्रोत पर आधारित होती है। अधिकारी ने बताया, ‘‘इन रिफाइनरी कंपनियों के लिए वैकल्पिक बाजार निर्यात है, जिसमें उन्हें सरकार को कर देना होता है। ऐसे में उनके द्वारा अन्य स्थानों पर की जाने वाली आपूर्ति पर यह कटौती सही है।’’ उल्लेखनीय है कि रिलायंस दो रिफाइनरियों का परिचालन करती है। इनमें से एक रिफाइनरी सिर्फ निर्यात के लिए है, जबकि दूसरी घरेलू बाजार के लिए। देश में कुल 83,685 पेट्रोल पंपों में से 1,470 रिलायंस के हैं। वहीं नायरा एनर्जी के पास 6,635 पेट्रोल पंप हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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