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कंपनियों ने खनन कानून के कुछ प्रावधानों को हटाने का किया विरोध, बोले- इससे निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 24, 2021 13:56
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फिमी के महासचिव आर के शर्मा ने कहा कि मोटे अनुमान के अनुसार शुरुआती चरण में यदि प्रत्येक खान में 100 कर्मचारियों को लिया जाए, तो इन 500 खानों से 50,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष से अप्रत्क्ष रोजगार का अनुपात 1:10 का है।
नयी दिल्ली। खनन कंपनियों ने खनन कानून के कुछ प्रावधानों को हटाने का विरोध करते हुए कहा है कि इससे देश के खनिज क्षेत्र को लेकर निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा और मामले अदालतों में पहुंचेंगे। सरकार ने 500 ब्लॉकों की नीलामी का रास्ता साफ करने के लिए इन प्रावधानों को हटाया है। खनन कंपनियों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनलर इंडस्ट्रीज (फिमी) के महासचिव आर के शर्मा ने कहा, ‘‘यदि खनन कानून की धारा 10ए(2)(बी) को हटाया नहीं जाता, तो इन 500 खानों से अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा होते।’’
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शर्मा ने कहा कि मोटे अनुमान के अनुसार शुरुआती चरण में यदि प्रत्येक खान में 100 कर्मचारियों को लिया जाए, तो इन 500 खानों से 50,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष से अप्रत्क्ष रोजगार का अनुपात 1:10 का है। ऐसे में 50,000 प्रत्यक्ष के साथ पांच लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। धारा 10ए(2)(बी) के तहत खनिज ब्लाकों के लिए टोही परमिट (आरपी) या संभाव्य लाइसेंस (पीएल) जारी किए जाते हैं लेकिन खनन पट्टा नहीं दिया जाता। शर्मा ने कहा कि धारा 10ए(2)(बी) को हटाने से घरेलू के साथ अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भी देश की खनिज नीति में निरंतरता को लेकर गलत संकेत जाएगा। फिमी ने कहा कि यह दावा किया गया है कि धारा 10ए(2)(बी) को हटाना एक बड़ा सुधार है और इससे 500 से अधिक खनिज ब्लॉक नीलामी के लिए उपलब्ध होंगे।
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सरकार ने 2015 में खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) कानून, 1957 को संशोधित करते समय यह धारा लागू की थी और टोही परमिट /संभाव्य लाइसेंस धारकों के योगदान को सराहा था। फिमी ने कहा कि यह धारा रियायतियों को भंडार के खनन का अधिकार देती और उनके हितों का संरक्षण करती है। शर्मा ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा धारा 10ए(2)(बी) को हटाने और इन ब्लॉकों को नीलामी के लिए पेश करना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। इससे घरेलू खनन क्षेत्र की वृद्धि को झटका लगेगा और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि प्रभावित होगी।’’ सरकार कंपनियों को तीन तरह की खनिज रियायतें...टोही परमिट, संभाव्य लाइसेंस और खनन पट्टा जारी करती है।
खिलौना विनिर्माता प्लास्टिक की जगह पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों का इस्तेमाल बढ़ाएं: मोदी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 13:54
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प्रधान मंत्री ने चेन्नापट्टनम, वाराणसी और जयपुर के पारंपरिक खिलौना निर्माताओं के साथ बातचीत की और उन्हें बच्चों की बदलती रुचि को ध्यान में रखते हुए नए खिलौने बनाने के लिए प्रेरित किया।
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को खिलौना निर्माताओं से नवप्रवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करने और विनिर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल घटा कर उसकी जगह पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों का उपयोग बढ़ाने का आह्वान किया। भारत के पहले खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन करते हुए, मोदी ने कहा, हमें खिलौना क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा और वैश्विक बाजार की जरुरतों को भी पूरा करना होगा। उन्होंने बाजार में भारत की वर्तमान स्थिति पर खेद जताते हुए कहा कि 100 अरब डॉलर के वैश्विक खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है, और देश में बिकने वाले लगभग 85 प्रतिशत खिलौने आयात किए जाते हैं। उन्होंने कहा, हमें भारत में हाथ से बने उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
प्रधान मंत्री ने चेन्नापट्टनम, वाराणसी और जयपुर के पारंपरिक खिलौना निर्माताओं के साथ बातचीत की और उन्हें बच्चों की बदलती रुचि को ध्यान में रखते हुए नए खिलौने बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने खिलौना निर्माताओं से पर्यावरण के अनुकूल, आकर्षक और अभिनव खिलौने बनाने और अधिक दोबारा इस्तेमाल किये जा सकने वाली सामग्रियों को इस्तेमाल में लाने के लिए कहा। प्रधान मंत्री ने कहा कि सरकार ने घरेलू खिलौना उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए 15 मंत्रालयों को शामिल करके एक राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भारत को खिलौना क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनाना और वैश्विक बाजार में घरेलू खिलौनों की उपस्थिति को बढ़ाना है। मोदी ने कहा कि भारतीय खिलौना उद्योग में परंपरा, तकनीक, अवधारणा और क्षमता की मौजूदगी है। उन्होंने कहा, हम दुनिया को पर्यावरण के अनुकूल खिलौने दे सकते हैं।आज toy fair के इस अवसर पर हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें, इन संभावनाओं को साकार करें।
अगर आज Made in India की डिमांड है तो आज Hand Made in India की डिमांड भी उतनी ही बढ़ रही है।
- पीएम @narendramodi #Vocal4LocalToys pic.twitter.com/SyyKrfo36O— BJP (@BJP4India) February 27, 2021
वित्त मंत्री ने जी-20 बैठक में कोरोना से निपटने को लेकर भारत की नीति की जानकारी दी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 09:39
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आधिकारिक बयान के अनुसार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में जारी टीकाकरण कार्यक्रम का भी जिक्र किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा और महत्वकांक्षी टीकाकरण अभियान है।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में कोविड 19-महामारी से निपटने को लेकर भारत की नीति तथा दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की जानकारी दी। जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की ‘ऑनलाइन’ बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की घरेलू नीतियां व्यापक रूप से नागरिकों को मदद पहुंचाने पर केंद्रित रही है। इसके लिये ऋण गारंटी, सीधे खातों में हस्तांरण, खाने के सामान की गारंटी, आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज और संरचनात्मक सुधारों में तेजी जैसे कदम उठाये गये।
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आधिकारिक बयान के अनुसार सीतारमण ने भारत में जारी टीकाकरण कार्यक्रम का भी जिक्र किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा और महत्वकांक्षी टीकाकरण अभियान है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने कई देशों को टीका उपलब्ध कराने में मदद की है। इटली की अध्यक्षता में यह पहली बैठक थी और इसमें रूपांतरणकारी और समानता के साथ पुनरूद्धार समेत एजेंडे में शामिल अन्य मुद्दों पर चर्चा की गयी। इसमें वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, वित्तीय क्षेत्र के मसले, वित्तीय समावेश और भरोसेमंद वित्त शामिल हैं। बैठक के दौरान, जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने वैश्विक वृद्धि और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की भी चर्चा की।
DGCA ने अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों पर 31 मार्च तक लगाई पाबंदी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 09:06
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नागर विमानन महानिदेशालय ने एक परिपत्र में कहा, ‘‘सक्षम प्राधिकरण ने 26 जून, 2020 के परिपत्र की वैधता बढ़ा दी है...।’’
मुंबई। विमानन नियामक डीजीसीए ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री उड़ान सेवाएं निलंबित रखने की अवधि 31 मार्च तक के लिये बढ़ा दी। कोविड-19 महामारी के कारण अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन पिछले साल 23 मार्च से निलंबित है।
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नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एक परिपत्र में कहा, ‘‘सक्षम प्राधिकरण ने 26 जून, 2020 के परिपत्र की वैधता बढ़ा दी है...।’’ इसके तहत भारत से आौर भारत के लिये अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय यात्री सेवाएं 31 मार्च, 2021 तक 23.59 मिनट तक निलंबित रहेगी।
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हालांकि चुनिंदा मार्गों पर अंतरराष्ट्रीय अनुसूचित उड़ानों को सक्षम प्राधिकरण द्वारा मामला-दर-मामला आधार पर अनुमति दी जा सकती है। परिपत्र के अनुसार पाबंदी मालवाहक उड़ानों और डीजीसीए की मंजूरी वाले उड़ानों पर लागू नहीं होगी।

