Hindenburg Research की रिपोर्ट पर बवाल! Gautam Adani के शेयरों का अब क्या होगा? क्यों आई भारी गिरावट, पूरा मामला 10 प्वाइंट्स में समझें

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 25 2023 6:10PM

अमेरिकी शॉर्ट-सेलर, हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के ऊपर इतने बड़े सवाल खड़े किए जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो जाएगा

गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी ग्रुप के शेयरों में 25 जनवरी को बड़ी गिरावट देखने को मिली। अडानी टोटल गैस, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स, अडानी पावर और अडानी विल्मर के शेयरों में 2-6 फीसदी की गिरावट आई। एक प्रसिद्ध अमेरिकी शॉर्ट-सेलर, हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के ऊपर इतने बड़े सवाल खड़े किए जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो जाएगा

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हिंडनबर्ग ने क्या दावा किया

1.) दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कॉरपोरेट जगत दुनिया की सबसे बड़ी चोरी कर रहा है।

2.) पिछले तीन साल में गौतम अडानी की संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ।

3.) गौतम अडानी के स्वामित्व वाली कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन पर है। 

4.) पिछले तीन साल में अडानी ग्रप की 7 लिस्टेड कंपनी के शेयर का भाव औसतन 819% बढ़ा है।

5.) हिंडनबर्ग रिसर्च ने हजारों डॉक्यूमेंट को स्कैन कर, आधे दर्जन देशों में विजिट करके ये दावा किया है। 

6.) इसके साथ ही कहा है कि अडानी ग्रुप के शेयर के दाम 85% तक टूट सकते हैं।

7.) अडानी ग्रुप की कंपनियों पर कर्ज ज्यादा है, बहुत शेयर्स गिरवी हैं।

8.) 7 में से 5 ग्रुप कंपनियों का करंट रेश्यो 1 से कम है, मतलब लिक्विडिटी की समस्या है। 

9.) 22 में से 8 उच्च अधिकारी अडानी परिवार के हैं। ग्रुप के फाइनेंसियल और मुख्य फैसलों पर उनका कंट्रोल है। 

10.) कारोबारी सत्र के दौरान अडानी ग्रुप के सभी 10 शेयर लाल निशान पर ट्रेड करते दिखाई दिए।

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अडानी सफाई ने क्या कहा

अडाणी समूह ने कहा कि रिपोर्ट को लेकर तथ्यों की पुष्टि के लिये उससे कोई संपर्क नहीं किया गया और यह अचंभित और परेशान करने वाला है। बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने कहा, ‘‘रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है। जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं। 

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