5000 से कम बैलेंस पर SBI लगाएगा जुर्माना, संसद में हंगामा

[email protected] । Mar 20 2017 2:40PM

बचत खाते में 5,000 रूपये का न्यूनतम बैलेंस न होने पर जुर्माना लगाने के भारतीय स्टेट बैंक के फैसले को आज राज्यसभा में रद्द किए जाने की मांग की गई।

बचत खाते में 5,000 रूपये का न्यूनतम बैलेंस न होने पर जुर्माना लगाने के भारतीय स्टेट बैंक के फैसले को आज राज्यसभा में रद्द किए जाने की मांग की गई। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए माकपा सदस्य के.के. रागेश ने आज कहा कि एसबीआई ने बचत खाते में न्यूनतम राशि रखने की सीमा 500 रूपये से बढ़ा कर 5000 रूपये कर दी है और इसका पालन न किए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

रागेश ने कहा कि एसबीआई के इस कदम से करीब 31 करोड़ जमाकर्ताओं पर असर पड़ेगा। चूंकि एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है इसलिए ज्यादातर संभावना है कि अन्य बैंक भी उसका अनुकरण करेंगे। एसबीआई के इस फैसले से संपन्न वर्ग को नहीं बल्कि गरीबों और आम लोगों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने बैंक खाते खोलने और फिर डिजिटल लेनदेन करने को कहा जिसे लोगों ने माना लेकिन अब खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने पर जुर्माने का फैसला.. यह स्वीकार्य नहीं है।

रागेश ने कहा कि सरकारी स्वामित्व वाले बैंक संकट का सामना कर रहे हैं जिसका कारण उनसे लिए गए ऋण की अदायगी न होना और गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) हैं। एनपीए बढ़ने का कारण गरीबों या आम आदमी द्वारा लिया गया ऋण नहीं बल्कि कारपोरेट जगत के लोगों द्वारा लिया गया ऋण है। ऐसे लोगों द्वारा ऋण अदायगी न करने पर सरकार की ओर से कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। एसबीआई का नया फैसला एक तरह से देश के लोगों को लूटने जैसा है। रागेश ने कहा ‘‘यह फैसला देश के हित में नहीं है।’’ उन्होंने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने और एसबीआई को यह फैसला वापस लेने का आदेश देने का अनुरोध किया।

माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि एसबीआई के फैसले की मार आम लोगों पर पड़ेगी। लगभग सभी विपक्षी दलों के सदस्यों ने रागेश के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

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