लोक ऋण रजिस्ट्री के लिए बने एक विशेष कानून: रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल वी. आचार्य ने कहा कि प्रस्तावित लोक ऋण रजिस्ट्री की स्थापना के लिए एक विशेष कानून बनाया जाना चाहिए।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल वी. आचार्य ने कहा कि प्रस्तावित लोक ऋण रजिस्ट्री की स्थापना के लिए एक विशेष कानून बनाया जाना चाहिए। इसके प्रभाव में आने से वित्तीय प्रणाली में आंकड़ों के उपलब्धता समाधान में मदद मिलेगी। साथ ही बढ़ते फंसे ऋण से भी बचाव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यह कानून इस क्षेत्र से जुड़े तमाम मुद्दों को शामिल करने वाला एक व्यापक कानून होना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि देश में ऋण और जीडीपी का अनुपात 55.7% है। अभी भी देश में वित्तीय पहुंच बहुत कम हैं और प्रस्तावित लोक ऋण रजिस्ट्री से वित्तीय प्रणाली को तेज करने में मदद मिलेगी। इससे ऋण का वितरण अधिक न्यायसंगत और समयबद्ध हो सकेगा। यह ऋण वितरण को अधिक लोकतांत्रिक और औपचारिक बनाएगा और अभी जिन क्षेत्रों को जोखिम के चलते ऋण नहीं दिया जाता है, वहां भी ऋण वितरण बढ़ सकेगा।
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के 2017 के चौथी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार भारत का ऋण-जीडीपी अनुपात 55.7% रहा है। जबकि चीन में यह 208.7%, ब्रिटेन में 170.5% और अमेरिका में 152.2% है। नार्वे इस चार्ट में 245.6 प्रतिशत के अनुपात के साथ सबसे ऊपर है।
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