मजबूत वृहत-आर्थिक संकेतक वैश्विक चुनौतियों से निपटने में करेंगे मददः Finance Ministry रिपोर्ट

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वित्त मंत्रालय ने कहा कि देश के मजबूत वृहत-आर्थिक संकेतकों से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने और चालू वित्त वर्ष में वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने में मदद मिलनी चाहिए। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि संगठित क्षेत्र में नौकरियां बढ़ रही हैं।

नयी दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश के मजबूत वृहत-आर्थिक संकेतकों से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने और चालू वित्त वर्ष में वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने में मदद मिलनी चाहिए। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि संगठित क्षेत्र में नौकरियां बढ़ रही हैं और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत शुद्ध रूप से नियमित वेतन पर रखे जाने वाले लोगों की संख्या का बढ़ना इस तरफ इशारा भी करता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-मार्च 2024 तिमाही में शहरी बेरोजगारी दर में सालाना आधार पर गिरावट आई है और श्रम बल भागीदारी दर एवं जनसंख्या के अनुपात में कामगारों की संख्या भी बेहतर हुई है। 

आर्थिक मामलों के विभाग की मासिक समीक्षा के अप्रैल संस्करण में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि और रोजगार के साथ अन्य वृहत-आर्थिक संकेतकों में भी सुधार देखा जा रहा है। रिपोर्ट कहती है, खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.83 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पिछले 11 महीनों में सबसे कम है। बाहरी मोर्चे पर वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आरामदायक स्थिति में है और भारतीय रुपया हाल के महीनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सबसे जुझारू रहा है। राजकोषीय दृष्टिकोण से देखने पर वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल-फरवरी में सरकारी पूंजीगत व्यय के मजबूत रुझान और चालू वित्त वर्ष के बजट में परिलक्षित राजकोषीय सशक्तीकरण योजनाओं ने ऋण स्थिरता से जुड़ी चिंताएं दूर कर दी हैं। इस तरह वृद्धि, मूल्य स्थिरता और राजकोषीय प्रबंधन सहित भारत की वृहत आर्थिक ताकत के तमाम अहम स्तंभ प्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक और पारस्परिक रूप से मजबूत हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, भू-राजनीतिक तनाव और अस्थिरता की स्थिति वैश्विक जिंसों, खासकर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें कई मोर्चों पर चुनौतियां पेश करती हैं। फिर भी, उम्मीद है कि...वृहत आर्थिक संकेतकों से भारतीय अर्थव्यवस्था को इन चुनौतियों के समुचित निपटान में मदद मिलेगी।” रिपोर्ट में आने वाले महीनों में घरेलू विनिर्माण को मजबूत बाहरी समर्थन मिलने की संभावना भी जताई गई है। यूरोप में आर्थिक गतिविधियों एवं उपभोक्ता धारणा में मामूली सुधार और स्थिर अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने अप्रैल में भारत के निर्यात में मदद की है। मंत्रालय ने होटल और पर्यटन उद्योग में पुनरुद्धार, परिवहन एवं रियल एस्टेट क्षेत्रों के ऋण प्रवाह में वृद्धि, नीतिगत समर्थन और भौतिक एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक क्षेत्र में मजबूत निवेश से सेवा क्षेत्र को मदद मिलने का अनुमान भी जताया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2024 में मजबूत निर्यात वृद्धि से संकेत मिलता है कि सेवा व्यापार में आई रफ्तार वित्त वर्ष 2024-25 में भी कायम रहेगी। घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति के परिदृश्य को लेकर रिपोर्ट कहती है कि आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों को स्थिर करने के लिए सरकार की पहल खाद्य कीमतों को स्थिर करने में मदद कर रही है। रबी विपणन सत्र की फसल से गेहूं और चना जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में नरमी आने की भी उम्मीद है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी भी खाद्य उत्पादन और कीमतों के दबाव को कम करने के लिए एक अच्छा संकेत है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए 4.9 प्रतिशत खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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