केबल बिछाने और टावर लगाने में आ रही हैं दिक्कतें, सरकार से मदद मांगी

Telecom companies seek help from government

डिजटिल इंडिया के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर जोर दिए जाने के बीच दूरसंचार कंपनियों ने फाइबर केबल बिछाने और टावर लगाने में आ रही दिक्कतों को रेखांकित करते हुए सरकार से मदद मांगी।

नयी दिल्ली। डिजटिल इंडिया के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर जोर दिए जाने के बीच दूरसंचार कंपनियों ने फाइबर केबल बिछाने और टावर लगाने में आ रही दिक्कतों को रेखांकित करते हुए सरकार से मदद मांगी। विशेषकर एयरटेल व आइडिया जैसी पुरानी कंपनियों ने ऊंची स्पेक्ट्रम लागत और नियामकीय मंजूरी जैसे पुराने मुद्दों को उठाते हुए कहा कि इसके साथ मोबाइल इंटरकनेक्शन उपयोक्ता शुल्क आईयूसी में कटौती का उन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इन कंपनियों ने सरकारी भवनों में टावर लगाने के मामले में जहां राज्य सरकारों व स्थानीय नगर निकायों से बेहतर सहयोग की उम्मीद की वहीं केंद्र सरकार से महंगे स्पेक्ट्रम, विलय व अधिग्रहण, कम शुल्क दरों व व्यापार सुगमता जैसे मुद्दों में हस्तक्षेप की आशा जतायी।

इन कंपनियों ने यहां प्रगति मैदान में इंडिया मोबाइल कांग्रेस में अपनी समस्याएं, चिंताएं व उम्मीदें साझा की। इन कंपनियों ने हालांकि इस बात पर सहमति जताई कि भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने, हर नागरिक को कनेक्ट करने का सपना साझे प्रयासों से ही संभव होगा। कंपनियां यहां निवेश कर रही हैं और करेंगी जबकि सरकार से कुछ मामलों में हस्तक्षेप अपेक्षित है। भारत में यह अपनी तरह का पहला आयोजन है जिसमें देश दुनिया की दिग्गज मोबाइल व आईटी कंपनियां भाग ले रही हैं। भारती एयरटेल के प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने एक परिचर्चा में कहा, ‘‘ दूरसंचार उद्योग पर कर की दर बहुत ज्यादा है। यह 29 से 32 प्रतिशत के दायरे में आता है। (देश में) स्पेक्ट्रम की लागत सबसे ज्यादा में से एक है जबकि कॉल दरें सबसे कम में से एक है। (ऐसे में) डिजिटल इंडिया के स्वप्न को पूरा करने के लिए इन सभी में बदलाव की जरूरत है।’’

विट्टल ने कहा कि बीते दो साल में भारती एयरटेल का निवेश उसके द्वारा पिछले 20 साल में किए गए कुल निवेश से भी अधिक है। चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘ भारत में स्पेक्ट्रम की लागत दुनिया में सबसे ज्यादा है और कॉल इत्यादि दरें दुनिया में सबसे कम बनी हुई हैं।’’ उन्होंने कहा कि इससे पूरे दूरंसचार उद्योग पर 4,50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है जबकि पूंजी पर रिटर्न की दर करीब एक प्रतिशत और ‘यह वह समस्याएं हैं जिन्हें पहचानने की जरूरत है।’ विट्टल ने इस बात पर जोर दिया कि यदि ‘डिजिटल इंडिया’ के लक्ष्य को पाना है तो इसमें बदलाव की जरूरत है। उन्होंने ऑप्टिकल फाइबर बिछाने और विलय एवं अधिग्रहण की नीति से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिलाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़